इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात
–फिराक़ गोरखपूरी
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ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात
–फिराक़ गोरखपूरी