ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में –फ़िराक़ गोरखपुरी ( इशरत अली की तरफ से ) Share Related News किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा ---अहमद फ़राज़ ( गज़न्फ़र अली ख़ान की तरफ से ) जाए है जी नजात के ग़म मेंऐसी जन्नत गई जहन्नम में ---मीर तक़ी मीर(आफनान खान की तरफ से) बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरनातिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है ---असरार-उल-हक़ मजाज़ (जैनब हुसैन की तरफ से) एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं --फ़िराक़ गोरखपुरी, (मोनी यामीन की तरफ से) ) (