ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
–फ़िराक़ गोरखपुरी ( इशरत अली की तरफ से )
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वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
–फ़िराक़ गोरखपुरी ( इशरत अली की तरफ से )