बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है
—असरार-उल-हक़ मजाज़
(जैनब हुसैन की तरफ से)
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बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है
—असरार-उल-हक़ मजाज़
(जैनब हुसैन की तरफ से)