गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
– –फैज़ अहमद फैज़
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गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
– –फैज़ अहमद फैज़