पुणे । केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पुणे स्थित मेसर्स हाउस ऑफ लैपटॉप्स (आई) प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आशुतोष पंडित को गिरफ्तार किया। आशुतोष बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी है और वह फरार चल रहा था।
यह मामला पुणे स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में 17 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी से संबंधित है। मामला पहले मुंबई स्थित आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में दर्ज किया गया था और बाद में इसे पुणे स्थित सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया, जहां फिलहाल मुकदमा चल रहा है।
जांच के दौरान और 2013 में आरोपपत्र दाखिल होने के बाद भी आरोपी का पता लगाने के लिए लगातार प्रयास किए गए, लेकिन वह फरार रहा। सभी निर्धारित कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अप्रैल 2018 में आरोपी आशुतोष पंडित को भगोड़ा घोषित कर दिया गया।
इसके बाद, नेटग्रिड पोर्टल से प्राप्त जानकारी के आधार पर पता चला कि आरोपी आशुतोष पंडित ने अपनी पहचान बदलकर यतिन शर्मा रख ली थी और उसका आवासीय पता गोवा के बंबोलिम में था।
आरोपी ने पैन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट भी बदल लिए थे। उसने पहले नई दिल्ली से पासपोर्ट बनवाया था, और उसकी वैधता समाप्त होने पर उसने गोवा से दूसरा पासपोर्ट बनवाया।
सीबीआई ने तकनीकी साक्ष्यों की सहायता से एक सुनियोजित अभियान चलाया और घोषित अपराधी को उसके नए निवास स्थान से सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया।
वहीं, इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अमेरिकी की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के साथ मिलकर ट्रांसनेशनल साइबर क्राइम नेटवर्क का भंडाफोड़ किया।
सीबीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने नोएडा में एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क का पर्दाफाश किया। धोखेबाजों ने अमेरिकी नागरिकों से 8.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर लूटे। इस मामले में सीबीआई ने छह मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया और 1.88 करोड़ रुपए एवं 34 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए।
भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास ने सीबीआई के पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए कहा कि यह यूएस-इंडिया पार्टनरशिप का एक शानदार उदाहरण है। एफबीआई के साथ मिलकर सीबीआई ने एक ट्रांसनेशनल साइबर क्राइम नेटवर्क का भंडाफोड़ किया, जिसने टेक-सपोर्ट स्कैम के जरिए अमेरिकी नागरिकों से 8.5 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी की थी। सीबीआई ने इस नेटवर्क के पीछे के लोगों को गिरफ्तार किया और काफी अवैध कमाई बरामद की। मजबूत कानून प्रवर्तन सहयोग के कारण हमारे दोनों देश अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
–आईएएनएस











