समाज में तनाव पैदा करने वाले दृश्य हटाना सेंसर बोर्ड की ज़िम्मेदारी: अनिल दुबे 

अगर फ़िल्म में ऐसे दृश्य या कहानी है जो समाज में तनाव को जन्म देता हो, तो फ़िल्म सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन, (सेंसर बोर्ड) को उसे तुरंत हटा देना चाहिए है। यह बात लखनऊ में फ़िल्म निर्देशक अनिल दुबे ने गुरुवार को कही है।

चिड़ियाघर, लापतागंज जैसे पारिवारिक और कॉमिडी शोज़ का निर्देशन कर चुके डायरेक्टर अनिल दुबे। वह आगे कई ओटीटी और फिल्म प्रोजेक्ट भी कर रहे हैं।

मीडिया से बात करते हुए अनिल दुबे ने कहा कि फ़िल्म की कहानी या दृश्य ऐसे है कि जिसकी वजह से अशांति हो सकती है तो सेंसर बोर्ड उसको हटा देना चाहिए है। उन्होंने कहा कि लेकिन ऐसा फ़िल्म रिलीज़ होने से पहले ही हो जाना 

चाहिए है। 

हालाँकि अनिल दुबे ने फ़िल्म निर्माता और निर्देशको का बचाव करते हुए कहा की जैसे पत्रकार को अपने परिप्रेक्ष्य से ख़बर लिखने की स्वतंत्रता है, ऐसे ही फ़िल्म निर्माता और निर्देशको को  अपने परिप्रेक्ष्य फ़िल्म बनाने की आज़ादी होना चाहिए है।

अनिल दुबे कहते है कि वह ओटीटी का स्वागत करते हैं, लेकिन अश्लीलता का विरोधी भी हूं। इस मंच पर ऐसे गाली वाले संवाद लिखे जा रहे, जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है। मौजूदा समय में गाली के साथ संवाद लिखने का चलन है।जिन संवादों को बिना गाली के लिखा जा सकता है, उसमें भी ज़बरदस्ती 

गाली भरी जा रही है। यह गलत है। उन्होंने कहा इस चलन को बदला जाना चाहिए। 

अनिल दुबे, ने कहा कि वह अवध की संस्कृति और आपसी भाइचारे पर भी फ़िल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस फ़िल्म में वह लखनऊ के स्थानीय कलाकारों को भी अभिनय का मौक़ा देंगे।

वह लखनऊ अभिनेता निर्मल पांडेय की याद में निर्मल पांडेय स्मृति न्यास, ए स्क्वायर एंटरटेनमेंट”, चम्बल सिने प्रोडक्शन और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग शिया पीजी कॉलेज, लखनऊ की तरफ से एक दिवसीय “चौथे” निर्मल पांडेय स्मृति फिल्म फेस्टिवल के योजन में भाग लेने लखनऊ आये थे।

इस मौक़े पर अभिनेत्री सीमा बिस्वास ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा बताया कि शेखर कपूर ने मेरा प्ले देखा और मुझे स्क्रिप्ट पढ़ने के लिए दी। जब मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में थी तो नसीर भाई ने कहा था बॉम्बे से कभी काम आए तो स्क्रिप्ट मांगना और “बैंडिट क्वीन” के लिए मैंने यही किया था।

 किरदार को देखते हुए मैंने काफी समय लिया लेकिन अंत में हाँ कर दी। निर्मल पांडेय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि 

साथ काम करने का अनुभव अच्छा रहा था, उनके जैसे कलाकार के साथ काम करने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

आयोजन में गायक रघुबीर यादव ने कहा कि जब से “ओ टी टी” का चलन बढ़ा है इससे हम जैसे कलाकारों को मनोबल बढ़ा है। अब कलाकारों को और ज्यादा मौका मिलता है।

फिल्म फेस्टिवल में 15 शार्ट फिल्म, 2 डाक्यूमेंट्री, एक फीचर फिल्म के साथ साथ अभिनेता यशपाल शर्मा की मशहूर फिल्म ‘दादा लख्मी’ की स्पेशल स्क्रीनिंग की गयी।  

इस मौक़े पर अभिनेता रघुबीर यादव को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। सीमा बिस्वास को एक्टिंग आइकॉन अवार्ड दिया गया। अभिनेता कुमुद मिश्रा को भी एक्टिंग आइकॉन अवार्ड से नवाज़ा जान था लेकिन व्यक्तिगत कारणों से वह नहीं आ सके, उनकी जगह अवार्ड अनिल दुबे ने प्राप्त किया।  

शार्ट फिल्म केटेगरी: बेस्ट शार्ट फिल्म अवार्ड – “इत्तर”, बेस्ट निर्देशक अवार्ड – “श्याम राउत”, बेस्ट सिनिमॅटोग्रफर अवार्ड “सरन ऋषि”, बेस्ट एक्टर अवार्ड – “भारत श्रीसंथ”, बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड – “स्नेहा शर्मा”, बेस्ट म्यूजिक अवार्ड – “शशांक सिंह थापा”, बेस्ट राइटर अवार्ड – “तनवीर आलम”, बेस्ट एडिटर अवार्ड – “राहुल भारदवाज”, बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट अवार्ड – “भूमिका चौधरी”, बेस्ट जूरी अवार्ड – “भारत”, स्पेशल मेंशन अवार्ड – “बट्टी” को सम्मानित किया गया।

इस आयोजन में हिंदुस्तान टाइम्स के डिप्टी रेजिडेंट एडिटर प्रांशु मिश्रा, प्रिंसिपल शिया पीजी कॉलेज प्रो एस एस आर बाक़री, डायरेक्टर सेल्फ फाइनेंस डॉ एम एम अबू तय्यब, एशियन कल्चर

विभाग अध्यक्ष डॉ सीमा राना, पत्रकारिता विभाग शिया कॉलेज के संयोजक डॉ प्रदीप शर्मा को गेस्ट औफ ऑनर का स्मृति चिन्ह देकर समान्नित किया गया।

— इंडिया न्यूज स्ट्रीम

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