बीजिंग । 3 नवंबर, 2011 को यूनेस्को ने हर साल 13 फरवरी को “विश्व रेडियो दिवस” के रूप में नामित करने का निर्णय लिया। 13 फरवरी 1946 को संयुक्त राष्ट्र रेडियो की स्थापना की गई और इसे रेडियो तरंगों के जरिए दुनिया भर में प्रसारित किया गया। इस ऐतिहासिक क्षण को मनाने के लिए यूनेस्को ने आधिकारिक तौर पर “विश्व रेडियो दिवस” का प्रस्ताव रखा।
इस दिवस की स्थापना का उद्देश्य लोगों में रेडियो के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और शिक्षा विकास, सूचना प्रसार और प्राकृतिक आपदाओं में प्रमुख सूचनाओं को जारी करने में संचार वाहक के रूप में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका को बढ़ावा देना है। रेडियो एक शक्तिशाली उपकरण है, जिसकी लागत कम और कवरेज व्यापक है।
वर्तमान में, विश्व की लगभग 95 प्रतिशत आबादी रेडियो सिग्नल प्राप्त कर सकती है। अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ द्वारा परिभाषित 42 प्रकार की रेडियो सेवाएं रेडियो और टेलीविजन, संचार, रेलवे, परिवहन, विमानन, एयरोस्पेस, मौसम विज्ञान, मत्स्य पालन, वैज्ञानिक अनुसंधान, आपातकालीन और आपदा राहत, समाचार मीडिया जैसे विभिन्न उद्योगों को कवर करती हैं।
दैनिक जीवन में, चाहे वह हाई-स्पीड ट्रेनों और हवाई जहाजों का सुरक्षा नियंत्रण हो, मोबाइल भुगतान, मोबाइल फोन सिग्नल, ऑनलाइन शॉपिंग आदि हो, रेडियो अविभाज्य है।
अब 5जी संचार के आगमन के साथ, रेडियो और इंटरनेट के एकीकरण ने एक विशाल नई दुनिया खोल दी है। रेडियो प्रौद्योगिकी और एप्लिकेशन नवाचार जैसे मोबाइल इंटरनेट, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, स्मार्ट सिटी, इंटरनेट ऑफ व्हीकल्स, मोबाइल भुगतान, वायरलेस चार्जिंग इत्यादि बड़ी संख्या में रणनीतिक उभरते उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस