नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका लगा गया है। पडरौना विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक व सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लिया है। बताया जा रहा है कि मौर्य काफी समय से असंतुष्ट चल रहे थे। अब चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदलते हुए एक लेटर जारी किया और इस्तीफे की वजहों का जिक्र किया है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेजे गए अपने इस्तीफे में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं। मौर्य योगी सरकार में श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री थे।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने लेटर में इस्तीफे की वजह बताते हुए यह भी कहा कि वह विपरीत परिस्थिति और विचारधारा में काम कर रहे थे। उन्होंने लिखा, विपरीत परिस्थितितियों और विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया। लेकिन दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं।
पिछले कई दिनों से चर्चा चल रही थी कि स्वामी प्रसाद मौर्य, बीजेपी का दामन छोड़कर अखिलेश यादव की साईकिल पर सवार हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि स्वामी स्वामी प्रसाद मौर्य के ज्वॉइनिंग मामले को सीधे अखिलेश यादव देख रहे थे और बातें उनके स्तर पर ही हो रही थी। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे को बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा दो अन्य विधायकों ने पार्टी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। ये कानपुर के बिल्हौर से भाजपा विधायक रहे भगवती सागर और बांदा के तिंदवारी से भाजपा विधायक रहे बृजेश प्रजापति है। माना जा रहा है अब दोनों विधायक समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि इन दो इस्तीफों के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। धर्मवीर सिंह सैनी