मुंबई । 56वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) में ‘ओस्लो : ए टेल ऑफ प्रॉमिस’ फिल्म का टीजर जारी किया गया, जिसे वहां मौजूद दर्शकों ने काफी सराहा। टीजर खत्म होते ही दर्शकों की आंखें नम हो गईं। अब यह टीजर आम दर्शकों के लिए भी जारी कर दिया गया है।
‘ओस्लो: ए टेल ऑफ प्रॉमिस’ एक नॉन-फिक्शन फिल्म है, जिसे जॉन अब्राहम ने खुद प्रस्तुत और प्रोड्यूस किया है। टीजर के बारे में बात करते हुए जॉन ने कहा, ”यह सिर्फ एक छोटी झलक है। मैं चाहता था कि दर्शक फिल्म की कहानी में मौजूद किरदारों के रिश्तों को महसूस करें और यह इच्छा मेरी पूरी हो गई। यह फिल्म हमें रुककर सोचने की, ध्यान से सुनने की, और किसी दूसरे जीव की नजर से दुनिया को समझने की सीख देती है।”
फिल्म की कहानी की असली ताकत एक साइबेरियन हस्की डॉग, ओस्लो, और प्रोटेक्टर इकोलॉजिकल फाउंडेशन की संस्थापक पूजा आर. भाले के बीच अनोखा रिश्ता है। फिल्म की निर्देशक ईशा पुंगालिया ने इस रिश्ते को बेहद संवेदनशील तरीके से पर्दे पर उतारा है।
फिल्म इस बात की खोज करती है कि जानवर सिर्फ साथी ही नहीं होते, बल्कि वे हमें संभालते हैं, हमें जमीन से जोड़े रखते हैं और कठिन समय में हमारा मजबूत सहारा भी बनते हैं।
निर्देशक ईशा पुंगालिया ने टीजर पर दर्शकों की प्रतिक्रिया के बारे में अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, ”मुझे पहले से पता था कि इस कहानी में एक अलग ही ताकत है। लेकिन जब मैंने लोगों को इतनी गहराई से इस कहानी से जुड़ते देखा, तो मैं खुद भी भावुक हो उठी।”
ईशा ने कहा है कि जानवर हमें बार-बार याद दिलाते हैं कि हम इंसान कैसे बेहतर बन सकते हैं, और फिल्म का हर फ्रेम यही संदेश लेकर चलता है। मेरे लिए यह अनुभव सिर्फ एक फिल्म बनाने का नहीं, बल्कि एक ऐसे रिश्ते को समझने का था, जो इंसान और जानवर की सीमाओं से आगे चला जाता है।
फिल्म की केंद्रीय कहानी पूजा भाले और ओस्लो के रिश्ते से जुड़ी है। पूजा ने बताया कि जब ओस्लो उनसे मिला, तब वह कमजोर और डरा-सहमा था, जिसे अपने लिए एक सुरक्षित घर की तलाश थी। लेकिन, धीरे-धीरे वह उनके लिए एक शिक्षक बन गया। ओस्लो ने उन्हें सिखाया कि किस तरह स्वीकार करना है और किस पर पूरी तरह से भरोसा करना है।
–आईएएनएस











