नई दिल्ली । मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि ग्रीन लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में भारतीय रेलवे के जरिए रिकॉर्ड 5.18 लाख वाहनों को डिस्पैच किया।
मारुति सुजुकी वर्तमान में रेलवे का इस्तेमाल कर 20 से अधिक हब तक वाहन भेजती है, जहां से भारत भर के 600 से अधिक शहरों में सेवा दी जाती है।
कंपनी द्वारा निर्यात के लिए उपयोग किए जाने वाले मुंद्रा और पिपावाव के बंदरगाह स्थानों पर भी रेलवे का इस्तेमाल किया जाता है।
रेलवे का मुख्य लाभ यह है कि यह परिवहन के कम उत्सर्जन और ऊर्जा-कुशल मोड की सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह सड़क की भीड़भाड़ को कम करने में भी मदद करता है।
इस उपलब्धि पर मारुति सुजुकी के प्रबंध निदेशक और सीईओ हिसाशी टेकाउची ने कहा, ” हमारे उत्पादों और हमारे संचालन दोनों में कार्बन उत्सर्जन को कम करना हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। मारुति सुजुकी भारत की पहली कंपनी थी, जिसने 2013 में ऑटोमोबाइल-फ्रेट-ट्रेन-ऑपरेटर लाइसेंस प्राप्त किया था। तब से, हमने रेल मोड के माध्यम से लगभग 24 लाख वाहन भेजे हैं। वित्त वर्ष 2030-31 तक, हम रेलवे के माध्यम से व्हीकल डिस्पैच का हिस्सा बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने की योजना बना रहे हैं।”
वित्त वर्ष 2014-15 से मारुति सुजुकी द्वारा रेलवे के माध्यम से व्हीकल डिस्पैच में लगभग 8 गुना वृद्धि हुई है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में कंपनी की गुजरात विनिर्माण सुविधा में भारत की पहले ऑटोमोबाइल इन-प्लांट रेलवे साइडिंग का उद्घाटन किया था।
कंपनी के बयान में कहा गया है कि वर्तमान में, मारुति सुजुकी 40 से अधिक फ्लेक्सी डेक रेक संचालित करती है, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता प्रति ट्रिप लगभग 300 वाहन ले जाने की है।
वित्त वर्ष 2014-15 से मारुति सुजुकी द्वारा रेलवे के माध्यम से कुल मिलाकर भेजे गए 24 लाख (2.4 मिलियन) वाहनों ने 1.8 लाख टन से अधिक सीओटूई (कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य) उत्सर्जन को कम करने में मदद की है और 630 लाख (63 मिलियन) लीटर से अधिक ईंधन की बचत की है।
इस बीच, भारतीय रेलवे द्वारा ढोए जाने वाले माल 2013-14 में 1,055 मिलियन टन से बढ़कर 2024-25 में 1,617 मिलियन टन हो गए हैं, जिससे यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा माल ढोने वाला रेलवे बन गया है।
विशेषज्ञों द्वारा की गई गणनाओं का इस्तेमाल करते हुए सड़क से रेल पर माल के इस बदलाव ने देश को 143 मिलियन टन से अधिक सीओटू उत्सर्जन को बचाने में मदद की है, जो 121 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
–आईएएनएस