नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद जिले में मौजूद आंगनबाड़ी केंद्रों का रूप बदला जा रहा है। अब ये केंद्र बच्चों को किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं लगेंगे। दीवारों पर ‘छोटे अ’ से लेकर ‘गिनतियां’ और ‘ए बी सी डी’ लिख कर पेंटिंग की गई है। ताकि बच्चों को समझने में आसानी हो। इन केंद्रों में साफ सफाई के साथ साथ बच्चों को पढ़ाई का एक अच्छा माहौल दिया जाएगा, आर्थिक हालात के चलते जो बच्चे स्कूल न जाने के कारण पढ़ाई से वंचित रहे जाते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
इन केंद्रों की दीवारों पर चित्र बनाये गए हैं, पढ़ाई से संबंधित कलाकृति को देख बच्चों को पढ़ाई में आसानी होगी और उनका मन भी लगा रहेगा।
गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने आंगनबाड़ी केंद्रों में प्ले स्कूल की तर्ज पर बदलाव करा रही हैं।
उन्होंने बताया कि, “जिले में 1373 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिसमें से 490 रूरल एरिया में हैं। कायाकल्प के तहत हमने आंगनबाड़ी केंद्रों में बेबी टॉयलेट, दीवारों पर पेंटिंग कराई जा रही हैं।”
“दीवारों पर होने वाली पेंटिंग का उद्देश्य जानकारी प्राप्त कराना है। इससे बच्चे खाली बैठे वक्त में भी दीवारों पर हुई पेंटिंग से सीख सकता है। अगले दो महीने में हम 490 रूरल एरिया में मौजूद आंगनबाड़ी केंद्रों को नया रूप देंगे।”
फिलहाल जिले के डासना स्थित कल्लू गढ़ी गांव के आंगनवाड़ी केंद्र को बच्चों के लिए विकसित कर दिया गया, जरूरत के अनुसार इनमें बदलाव भी किए गए हैं।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छा के मुताबिक गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ‘मिशन कायाकल्प’ को बखूबी जमीन पर उतारने की कोशिश कर रही हैं।
इस मिशन के तहत उन बच्चों को इन केंद्रों में बुलाना है जो पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं या केंद्रों की हालत देख कर आना नहीं चाहते। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों का कायाकल्प किया जाने लगा है।
अक्सर छोटे बच्चों को कार्टून लुभाने लगते हैं, इसलिए इन केंद्रों में हर वो बदलाव किए जा रहे हैं, जिनसे ज्यादा ज्यादा बच्चे इन केंद्रों में आकर पढ़ाई पूरी करें।
केंद्रों में साफ सफाई का भी बहुत ध्यान रखा जा रहा है
बच्चों के लिए बेहद साफ पानी भी मुहैया होगा और इसके लिए भी टैप लगवाया गया है ताकि पानी की बर्बादी कम हो।
सहायक बाल विकास परियोजना अधिकारी पूनम शर्मा ने बताया कि, “कायाकल्प के तहत जो दीवारों पर कार्टून बनाये जा रहे हैं, इनसे बच्चों को बहुत फायदा पहुंच रहा है। यदि किसी बच्चे को कुछ समझ नहीं आता तो उस बच्चे को कार्टून के माध्यम से समझाने का प्रयास किया जाता है। जिससे वह जल्दी और अच्छे से समझ सकता है।”
इस मिशन के तहत निम्न वर्ग के आने वाले लोगों के बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में भी प्ले स्कूल की तरह पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे उनके मानसिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास में भी वृद्धि होगी।