लॉस एंजिल्स । अमेरिकी फेडरल जज ने फैसला दिया है कि ट्रंप प्रशासन ने जून की शुरुआत में लॉस एंजिल्स में इमिग्रेशन रेड्स के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को रोकने के लिए नेशनल गार्ड और मरीन तैनात कर 19वीं सदी के कानून का उल्लंघन किया।
समाचार एजेंसी ‘सिन्हुआ’ के अनुसार, कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले की अमेरिकी जिला अदालत के वरिष्ठ न्यायाधीश चार्ल्स ने अपने आदेश में लिखा कि ट्रंप प्रशासन ने ‘पॉजे कॉमिटेटस एक्ट’ का उल्लंघन किया, जो कांग्रेस की मंजूरी के बिना घरेलू कानून लागू करने के लिए अमेरिकी सेना के इस्तेमाल पर रोक लगाता है।
यह फैसला ट्रंप प्रशासन को कैलिफोर्निया में वर्तमान में तैनात नेशनल गार्ड और कैलिफोर्निया में अब तक तैनात किसी भी सैन्य टुकड़ी को कानूनों को लागू करने के लिए तैनात करने, आदेश देने, निर्देश देने, प्रशिक्षण देने या इस्तेमाल करने से रोकता है।
फैसले में लिखा है, “लॉस एंजिल्स में वास्तव में प्रदर्शन हुए थे। कुछ व्यक्तियों ने हिंसा भी की थी, लेकिन न तो कोई विद्रोह हुआ और न ही नागरिक कानून प्रवर्तन एजेंसियां इन प्रदर्शनों से निपटने और कानून लागू करने में असमर्थ थीं।”
इसमें कहा गया है कि लॉस एंजिल्स में नेशनल गार्ड की तैनाती के लगभग तीन महीने बाद भी, 300 नेशनल गार्ड मेंबर्स वहां तैनात हैं। इसके साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने अन्य शहरों में भी इन सैनिकों को फेडरल सर्विस में बुलाने का इरादा जताया है, जिससे राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय पुलिस फोर्स का गठन होगा।
कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम इस मामले के वादियों में से एक हैं। उन्होंने कहा, “अदालत ने लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया। कोई भी राष्ट्रपति राजा नहीं होता, यहां तक कि ट्रंप भी नहीं। कोई भी राष्ट्रपति किसी राज्य की अपने लोगों की रक्षा करने की शक्ति को कुचल नहीं सकता।”
बयान में आगे कहा गया, “ट्रंप का फेडरल ट्रूप्स को अपनी निजी पुलिस फोर्स की तरह इस्तेमाल करने का प्रयास अवैध और तानाशाहीपूर्ण है। इसे इस देश की हर अदालत में रोका जाना चाहिए।”
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, व्हाइट हाउस की डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी अन्ना केली ने कहा, “फिर से, एक न्यायाधीश अमेरिकी शहरों को हिंसा और विनाश से बचाने के लिए कमांडर-इन-चीफ के अधिकार का हनन करने की कोशिश कर रहे हैं।”
अमेरिकी न्याय विभाग ने इस फैसले के खिलाफ फेडरल अपील कोर्ट में याचिका दायर की है। इसके साथ ही अपील पर विचार किए जाने तक इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मिलिट्री जस्टिस के उपाध्यक्ष ब्रेनर फिसेल के हवाले से ‘सीएनएन’ ने बताया कि फैसला कैलिफोर्निया के बाहर तत्काल प्रभाव तो नहीं डालता, लेकिन यह तय है कि अगर कहीं और इसी तरह के मामले सामने आते हैं, तो दूसरे न्यायाधीश सबसे पहले इसी फैसले का हवाला देंगे।
–आईएएनएस