नई दिल्ली । त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की देहरादून में हत्या का मामला तूल पकड़ा हुआ है। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चकमा के पीड़ित पिता से फोन पर बात की, जिसको लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है कि इस बातचीत को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। इस बीच कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने मंगलवार को भाजपा पर निशाना साधा।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “एक पिता, जिसने अपनी पूरी जिंदगी देश की सेवा में लगन और मेहनत से बिताई, आज अपने बेटे के बिना रह गया है। ऐसे दुखद और संवेदनशील पल में, अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री उनसे बात कर रहा है, तो यह एक निजी बातचीत होनी चाहिए थी। एक दुखी पिता, फोन पर बात करते हुए, सांत्वना ढूंढ रहा था, लेकिन उसकी गुहार को टीवी कवरेज, टीआरपी और मुख्यमंत्री की पब्लिसिटी का जरिए बना दिया गया, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
उन्होंने कहा, “इस मामले में पुलिस प्रशासन की भूमिका बहुत दुखद है। उसकी मौत 9 दिसंबर को हुई थी, और शिकायत 10 दिसंबर को दर्ज की गई थी, फिर भी एफआईआर 10-11 दिन बाद ही दर्ज की गई। तब तक मुख्य आरोपी शायद भाग चुका होगा। एफआईआर उत्तराखंड में त्रिपुरा के छात्र समुदाय के दबाव के बाद ही दर्ज की गई। मुझे उम्मीद थी कि पुलिस बताएगी कि एफआईआर दर्ज करने में इतनी देरी क्यों हुई और मुख्य आरोपी कैसे भागने में कामयाब रहा। इन सवालों का जवाब देने के बजाय, मामले को नस्लीय रंग दिया गया है। ऐसा लगता है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी सच्चाई और न्याय की तलाश करने के बजाय अपनी छवि को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।”
कांग्रेस सांसद ने कहा, “उत्तराखंड को देवताओं की भूमि माना जाता है, लेकिन अगर आप वहां जाएंगे, तो देखेंगे कि कानून-व्यवस्था की स्थिति कितनी खराब हो गई है। बाजारों में गैंग और गुंडागर्दी बढ़ गई है। ऐसे समय में जब सरकार को पूरे देश को हिला देने वाले मामले में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी, वे अपनी इमेज को लेकर ज्यादा चिंतित दिखे। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
गोगोई ने कहा, “हम इस मुद्दे को सदन में जरूर उठाएंगे, क्योंकि देश के हर नागरिक को यह सुनने की जरूरत है। यह बहुत परेशान करने वाली बात है कि हमारे अपने देश में, नागरिक अलग-अलग इलाकों में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। क्या उन्हें नागरिक नहीं माना जाता? क्या लोगों को अपने ही देश के दूसरे राज्यों की स्थितियों, भाषाओं और विविधता के बारे में नहीं पता? यह बहुत चिंता और दुख की बात है।”
उन्होंने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि बिहार में कितने घुसपैठिए मिले, क्योंकि वहां इसका ज़िक्र किया गया था। झारखंड में भी कितने मिले? मैं जानना चाहता हूं कि वे इन सवालों का जवाब क्यों नहीं दे सकते।”
–आईएएनएस











