आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक दलित महिला के साथ आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद मामला बेहद तूल पकड़ गया है। दलितों में इसके बाद काफी रोष देखा जा रहा है और वो लगातार दोषी पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं।
गांव में दो पक्षों को लेकर हुए विवाद में पहुंची पुलिस से एक पक्ष(दलित पक्ष) का विवाद हो गया। पुलिस और दलित पक्ष में कथित तौर पर मारपीट हो गई। इसके बाद कई थानों की पुलिस उस गांव पहुंची और दलित पक्ष के लोगों के साथ जमकर अभद्रता की गई ,महिलाओं पर शर्मनाक टिप्पणी के साथ ही पुलिस ने जेसीबी बुलाकर दलित पक्ष के लोगों का घर गिरवा दिया।
यह मामला आजमगढ़ के रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव का हैं। पलिया गांव के प्रधान मुन्ना पासवान हैं। मुन्ना पासवान का घर लगातार तीन बार से प्रधान का चुनाव जीतता आ रहा है। इस बार इनकी पत्नी मंजू विजयी हुई हैं। पलिया गांव के पास के ही मऊ कुतुबपुर गांव के रहने वाले आनंद स्वरूप के पुत्र लिट्टन से पलिया गांव के लोगों के बीच विवाद हुआ था।
दरअसल लिट्टन ने पलिया गांव की एक लड़की का आपत्तिजनक वीडियो बना लिया था। लिट्टन वीडियो के माध्यम से लड़की को ब्लैकमेल करता था। लड़की की शिकायत के बाद प्रधान मुन्ना पासवान के यहां सुलह समझौते की पंचायत बैठी थी। सुलह समझौते के बीच ही किसी बात को लेकर आनंद स्वरूप और उसके बेटे से प्रधान पक्ष का झगड़ा हो गया। सूचना पर रौनापार थाना से दो सिपाही मुखराज यादव और विवेक त्रिपाठी मौके पर पहुंच गए।
इसी दौरान सिपाही ने किसी बात को लेकर प्रधान मुन्ना पासवान के थप्पड़ जड़ दिए। प्रधान मुन्ना पासवान के चेहरे पर चोट आ गई, यह देख प्रधान पक्ष के लोगों ने दोनों सिपाहियों की पिटाई कर दी। दोनों सिपाही काफ़ी चोटहिल हो गए। सूचना पाकर मौके पर कई थानों की पुलिस फोर्स पहुंच गई पलिया गांव पहुंच गई।
पुलिस फोर्स ने रात में दबिश मारी। दबिश के दौरान पुलिस ने गांव में दलित प्रधान मुन्ना पासवान के घर वालों और उसके समर्थकों के साथ बर्बरतापूर्ण रवैया अपनाया। आरोप है कि दलित वर्ग के लोगों को पीटा गया, महिलाओं के साथ घर में जबरन घुसकर अभद्रता की गई और पुलिस उत्पीड़न की हद तब हुई जब दलित मुन्ना पासवान के घर और उसके आसपास के दलितों के घर पर जबरन जेसीबी से तोड़फोड़ कर घरों को ढहा दिया गया।
मुन्ना पासवान की पत्नी मंजू ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस ने घर में घुसकर तोड़फोड़ की, महिलाओं के साथ अभद्रता, मारपीट, गाली-गलौज , यहां तक यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस वाले घर में रखे गहने भी अपने साथ ले गए। सोशल मीडिया में पुलिस उत्पीड़न के वीडियो वायरल हो रहें हैं जिसमें ना केवल उनके मकान का धराशायी हुआ दिखता है, बल्कि घर का सामान भी बिखरा दिखाई देता है और मकान के मलबे के नीचे वाहन भी दबे दिखाई देते हैं। गांव की महिलाएं पुलिसिया ज़ुल्म के खिलाफ धरने पर भी बैठ गई।
महिलाओं के धरने पर बैठने पर मामले ने तूल पकड़ लिया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, बसपा प्रमुख मायावती, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आज़ाद, समाजवादी पार्टी के नेताओ ने दलितों पर हुई पुलिस की कार्रवाई का विरोध करते हुए सरकार और पुलिस अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर दिया है साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की हैं।उत्तर प्रदेश कांग्रेस के सचिव अनिल कुमार के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता पलिया में ही पुलिस उत्पीड़न के विरोध में उपवास पर बैठ गए।
लेकिन इस मामले में आजमगढ़ पुलिस की कहानी ही कुछ और हैं। आजमगढ़ पुलिस का कहना है कि मुन्ना पासवान ने पुलिस से बचने के लिए खुद ही अपने घर पर जेसीबी चलवा दी हैं। सवाल उठता है कि मेहनत मशक्कत से बनाए हुए अपने ही घर पर कोई जेसीबी क्यो चलवाएगा। आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह ने अपना वीडियो बयान जारी करते हुए कहा कि पलिया बाजार में मुन्ना पासवान और उनके साथियों ने लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करी थी, लिट्टन नामक युवक उनका वीडियो बना रहा था इसी बात पर पहले विवाद हुआ और फिर मारपीट हुई। रौनापार थानाध्यक्ष को सूचना मिली तो कांस्टेबल मुखराम यादव और विवेक त्रिपाठी को मौके पर भेजा गया।
एसपी का कहना है कि बीच बचाव के दौरान मुन्ना पासवान और उनके साथी एक पुलिसकर्मी को पीटने लगे। इस घटना की वीडियो बनाने वाले दूसरे पुलिसकर्मी विवेक को भी मारा-पीटा गया जिससे पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आई हैं। आजमगढ़ पुलिस का कहना है कि घर की महिलाओं को आगे करके मुन्ना पासवान समेत अन्य आरोपी अपना बचाव करना चाहते हैं। आजमगढ़ पुलिस का कहना है कि गांव के लोगों ने पुलिस से बचने के लिए खुद ही लूट-पाट और तोड़फोड़ की है।
इस मामले में रौनापार थाना पुलिस ने तीन एफआईआर दर्ज करी हैं। प्रधान मुन्ना पासवान समेत 28 नामजद समेत 143 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करी गई है। पुलिस ने पहली एफआईआर घायल पुलिसकर्मियों की तहरीर पर और दूसरी एफआईआर लिट्टन की तहरीर पर दर्ज करी हैं। वहीं तीसरी एफआईआर मुन्ना पासवान समेत अन्य घरों में तोड़फोड़ को लेकर पुलिस ने अज्ञात में एफआईआर दर्ज करी हैं। पहली दो दर्ज एफआईआर में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है। पुलिस का कहना है कि मुन्ना पासवान समेत अन्य आरोपी फरार चल रहे हैं।
दलितों पर पुलिस उत्पीड़न के मामले के तूल पकड़ने के बाद आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक ने रौनापार एसओ को लाइन हाजिर कर दिया है और साथ ही इस घटना के मजिस्ट्रेट जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। गांव वालों का कहना है कि पुलिस ने एक पक्ष की ना तो शिकायत दर्ज करी , साथ ही बर्बरता की। फिलहाल पुलिसिया कार्रवाई से गांव में दहशत का माहौल है। विपक्षी दलों ने इस मामले में योगी सरकार को दलित विरोधी क़रार दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि योगी राज में दलित समाज सुरक्षित नहीं है।
इस घटना के बाद आजमगढ़ के आसपास दलितों में रोष फैलता जा रहा है। खासकर दलित महिला को की गई बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद दलित समाज उबल रहा है। यह अलग बात है कि पुलिस इस टिप्पणी को बनावटी बता रही है मगर जिस तरह से महिला ने वीडियो जारी कर घटना बताई है उससे प्रशासन जांच के कटघरे में तो आता है।