मुंबई । सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत-चीन तनाव पर की गई टिप्पणी के लिए फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के इस फटकार पर सियासी बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि एनसीपी (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि हमें कहां क्या बात करना चाहिए, अब हमें सुप्रीम कोर्ट सिखाएगा? मुझे जो बोलने की आजादी संविधान ने दी है क्या वह भी छिन जाएगा?
उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश में कितने गांव के नाम बदले गए? क्या वह सभी नाम हमने बदले? मुझे पता नहीं कि सर्वोच्च न्यायालय ने क्या टिप्पणी की है। मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं, लेकिन गलवान घाटी में जो कुछ भी हुआ उसकी जांच सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए। हमें क्यों बोलते हैं कि सबूत लेकर आओ? आप सरकार से सवाल पूछिए। सवाल पूछने वालों को मत कहो कि आप सबूत लाकर दो। आज हम कहते हैं कि नाथूराम गोडसे आतंकवादी था, वह आतंकवादी था तो था, अब इसमें हम क्या सबूत दें? जब तक दुनिया है तब तक कहा जाएगा कि देश का पहला आतंकवादी नाथूराम गोडसे था।
संजय राउत के नक्सलवाद और आतंकवाद वाले बयान पर जितेंद्र आव्हाड ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद का जन्म ही शोषण के खिलाफ हुआ। अगर आप इतिहास पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी करके एक गांव था, जहां पर जमींदारी के खिलाफ आंदोलन हुआ। इतिहास को पढ़िए, फिर आपको पता चलेगा कि शोषण क्या होता है और फिर शोषण के कारण क्या-क्या होते हैं।
जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म को लेकर अपने हालिया बयान से एक बार फिर राजनीतिक बहस को हवा दे दी है। उन्होंने कहा है कि सनातन धर्म पुरानी और रूढ़िगत परंपराओं को मानता है, जो जाति व्यवस्था और ऊंच-नीच की मानसिकता को बढ़ावा देती है, जबकि हिंदू धर्म बदलाव और समानता की बात करता है। किसके प्रमाण पत्र पर ‘सनातन धर्म’ लिखा है? हमारे प्रमाण पत्र पर ‘हिंदू धर्म’ लिखा है। जो बदलाव चाहता है, वह हिंदू है। जो बदलाव नहीं चाहता, वह सनातनी है।
—आईएएनएस