मुंबई । बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव से पहले शिवसेना (यूबीटी) को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। दहिसर की स्थानीय महिला नेता तेजस्वी घोसालकर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपने फैसले के बारे में बताया।
तेजस्वी घोसालकर, दिवंगत शिवसेना (यूबीटी) नेता अभिषेक घोसालकर की पत्नी हैं। अभिषेक घोसालकर की फेसबुक लाइव के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद आरोपी ने भी आत्महत्या कर ली थी। पूरे मामले की जांच फिलहाल क्राइम ब्रांच कर रही है। इस घटना ने न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि पूरे महाराष्ट्र में गहरी सनसनी फैला दी थी।
अपने इस्तीफे के साथ साझा की गई भावनात्मक फेसबुक पोस्ट में तेजस्वी घोसालकर ने लिखा कि आज आपसे बात करते हुए उनका हृदय भावनाओं से भरा हुआ है। उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि उनके जीवन में ऐसा समय आएगा जब उन्हें इतने भारी मन से ऐसे शब्द लिखने पड़ेंगे। शब्द उनके दर्द को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन यह संवाद जरूरी है।
तेजस्वी ने खुद को एक साधारण परिवार की लड़की बताते हुए लिखा कि वह घोसालकर जैसे राजनीतिक और सामाजिक परिवार में बहू बनकर आईं। उनके लिए राजनीति या समाज सेवा कभी महत्वाकांक्षा का साधन नहीं रही। उन्होंने यह सफर सिर्फ अपने ससुर विनोद घोसालकर और पति अभिषेक घोसालकर के समर्थन में शुरू किया था। लोगों के बीच रहना, उनके काम में सहयोग करना और उनके सुख-दुख में शामिल होना उन्हें हमेशा अच्छा लगता रहा।
उन्होंने लिखा कि जब सब कुछ सामान्य था, तब अभिषेक और उनके मन में अपने परिवार, बच्चों और दहिसर-बोरीवली के उन लोगों के लिए कई सपने थे जो उनसे प्यार करते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक पल में सब कुछ बदल गया। अभिषेक की बेरहमी से हत्या ने उनकी पूरी जिंदगी की दिशा बदल दी।
तेजस्वी घोसालकर ने बताया कि दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी, टूटे हुए दिल और लोगों के भरोसे के भारी बोझ के बावजूद उन्होंने खुद को संभाले रखा। उन्होंने स्वीकार किया कि वह कई बार लड़खड़ाईं, लेकिन गिरी नहीं, क्योंकि जनता ने हर कदम पर उन्हें सहारा दिया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आज परिस्थितियां अलग हैं।
फेसबुक पोस्ट में उन्होंने राजनीति में काम करने, जनता की सेवा करने और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने में आ रही कठिनाइयों का जिक्र किया। उन्होंने लिखा कि ऐसे समय में उन्हें केवल किसी पद की नहीं, बल्कि पूरे दिल से, निडरता के साथ और खुले मन से समर्थन की जरूरत महसूस होती है।
तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रही हैं कि उनकी पार्टी या उनके नेता उन्हें ताकत नहीं दे सकते, लेकिन पिछले कुछ वर्षों के अनुभवों के आधार पर, चाहे वार्ड नंबर 1 हो या अन्य क्षेत्र, लोगों की समस्याओं का समाधान करने और अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उन्हें एक अलग निर्णय पर विचार करना पड़ा।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके जीवन के सबसे कठिन समय में जिस तरह का साथ और समर्थन उन्हें मिला, उसे वह कभी नहीं भूलेंगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जब भी और जहां भी मौका मिलेगा, वह मिले हुए प्यार और विश्वास को जरूर लौटाएंगी। उन्होंने वादा किया कि जाति, धर्म, दल या विचारधारा से ऊपर उठकर जब भी लोगों को उनकी जरूरत होगी, वह बिना सोचे-समझे मदद के लिए आगे आएंगी।
पोस्ट के अंत में तेजस्वी घोसालकर ने लिखा कि अभिषेक के निधन के बाद उनके जीवन का एक ही लक्ष्य रह गया है। समाज के लिए ईमानदारी से काम करना और अपने बच्चों और सहयोगियों की देखभाल करना। उन्होंने कहा कि जनता ही उनका परिवार है और उन्हें उम्मीद है कि लोग बदलती परिस्थितियों में उनके इस कठिन फैसले को समझेंगे।
–आईएएनएस











