बिहार में विधानसभा की दो सीटों के लिए उपचुनाव हो रहा है। उपचुनाव का प्रचार थम गया है। तीन नवंबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे तीन दिन बाद आएंगे। उपचुनाव में भाजपा की भी साख दांव पर है और महागठबंधन की भी। बिहार में गठबंधन में फेरबदल के बाद पहला लिटमस टेस्ट है। अगस्त में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ कर राजद, कांग्रेस और दूसरे दलों के साथ मिल कर सरकार बनाई थी। भाजपा आरसीपी सिंह के कंधे पर बंदूक रख कर जदयू को तोड़ने में लगी थी लेकिन इससे पहले कि भाजपा खेल करती, नीतीश कुमार ने आपरेशन लोटस को नाकाम किया और भाजपा को बिहार की सत्ता से पैदल कर राजद के साथ नई सरकार बना डाली। भाजपा इससे अब तक नहीं उबरी है। नीतीश कुमार के इस कदम ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के सामने सवाल खड़ा किया और भाजपा बैकफुट पर दिखाई दे रही है। अब उपचुनाव है तो उसे खुद को साबित करना है। बिहार में भाजपा अब तक नीतीश कुमार की बैसाखी के सहारे ही चुनाव लड़ती रही है और सत्ता में बनी रही थी। भाजपा ने 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव नीतीश कुमार से अलग होकर लड़ा था लेकिन उसकी फजीहत हो गई थी। नरेंद्र मोदी और अमित शाह तब बुरी तरह फ्लाप साबित हुए थे। कुछ महीने पहले बोचहा में हुए उपचुनाव में भाजपा हार गई थी। तब वह सत्ता में थी। बोचहा में मिली हार से भी उसकी कम फजीहत नहीं हुई थी। हालांकि उस चुनाव में भी नीतीश कुमार ने दिलचस्पी नहीं ली थी। भाजपा से उन दिनों जदयू के रिश्ते नरम-गरम थे। इसका नतीजा सामने आया तो भाजपा के पांव तले से जमीन सरक गई थी।
जाहिर है कि दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा अपनी ताकत को भी आकंने में लगी है। अकेले वह बिहार में कितनी दूर तक चल पाएगी यह नतीजे बताएंगे। मोकामा और गोपालगंज के नतीजे दोनों ही गठबंधन की भविष्य की राजनीति की राह भी तय करेंगे।
बिहार में इस बार चुनाव बदले हुआ हालातमें हो रहे हैं। नीतीश अब महागठबंधन के साथ हैं। नीतीश-लालू फिर से एक साथ आ गए हैं। नीतीश अब लालू यादव और उनके परिवार के बजाय भाजपा पर हमलावर हैं। वे भाजपा के ख़िलाफ़ विपक्ष को लामबंद करने की कवायद में जुटे हैं। इसलिए यह सवाल ज्यादा मौजूं है कि इन दोनों विधानसभा सीटों के नतीजे सूबे की सियासत को क्या नई दिशा देंगे और इसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ेगा साथ ही यह भी कि नीतीश-लालू के साथ आ जाने से उनका वोट बैंक भी साथ आया है या नहीं। लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा अपने बूते यानी नीतीश से अलग होकर दोनों सीटों को जीत पाएगी। अगर ऐसा होता है तो फिर भाजपा नए तेवर और दमखम के साथ ताल ठोंकेगी। दोनों सीटों के नतीजे नीतीश कुमार की लोकप्रियता और उनके विकास के दावे को भी तय करेंगे। हालांकि सियासी पंडितों का मानना है कि उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं बल्कि दल लड़ रहे हैं और दांव पर नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और नरेंद्र मोदी की साख लगी है।
दोनों सीटों पर सीधी टक्कर भाजपा और राजद के बीच है। मोकमा सीट पर उपचुनाव बाहुबलि अनंत सिंह के अयोग्य करार देने और गोपालगंज में भाजपा विधायक सुभाष सिंह के निधन की वजह से उपचुनाव हो रहे हैं। मोकामा में दो बाहुबलियों की पत्नियां चुनाव में हैं। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपचुनाव में प्रचार से खुद को दूर रखा। उन्होंने वीडियो संदेश के जरिए मतदाताओं से महागठबंधन को वोट देने की अपील की। वैसे जदयू का पूरा कुंबा राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा मोकामा और गोपालगंज में राजद उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगने गए। महागठबंधन को जीत का भरोसा है। तेजस्वी यादव और राजद के दूसरे नेता भी डेरा जमाए हुए थे। प्रचार के अंतिम दिन महागठबंधन ने पूरी ताकत झोंकी तो भाजपा ने चिराग पासवान को मैदान में उतारा। यह वही चिराग पासवान हैं जो कल तक भाजपा को कोस रहे थे कि दिल्ली में उन्हें भाजपा ने बेइज्जत कर के घर से निकाला और दलित नेता रामविलास पासवान का अपमान किया। लेकिन चिराग दोनों जगहों पर भाजपा के साथ कमदताल करते दिखाई दिए। इसे नए सियासी समीकरण के तौर पर भी देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि चिराग ने सियासी तौर पर भाजपा को ब्लैकमेल किया है। उपचुनाव के बाद क्या भाजपा चिराग को भाव देगी, यह सवाल बरकरार रहेगा। नतीजे अगर भाजपा के पक्ष में नहीं आए तो फिर चिराग की परेशानी बढ़ सकती है। हाशिए से सत्ता के केंद्र में आने की कवायद में लगे चिराग के लिए दिल्ली और दूर हो सकती है।
सियासी उठापटक के बीच होने वाले इस चुनाव के नतीजों से बिहार का सियासी परिदृश्य भी बदलेगा और देश की सियासी तसवीर भी। नतीजे महागठबंधन के पक्ष में आए तो नीतीश कुमार के विपक्षी एकता के मुहिम को और ताकत मिलेगी और फिर उसमें तेजी भा आएगी। भाजपा के लिए नतीजे उसके पक्ष में नहीं आए तो फिर उसकी परेशानी राज्यस्तर पर ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ सकती है। फिलहाल तो नतीजों का इंतजार करें।
——————- इंडिया न्यूज स्ट्रीम