देश की रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा में आया बड़ा बदलाव, स्वदेशी तकनीक को महत्व

नई दिल्ली । केंद्र सरकार के मुताबिक पिछले ग्यारह वर्षों के दौरान भारत की रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। यह परिवर्तन सुस्पष्ट उद्देश्य और आत्मनिर्भरता की दिशा में है। केंद्र के मुताबिक सरकार का जोर इस बात पर है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता।

रक्षा मंत्रालय के आकंड़े बताते हैं कि भारत का रक्षा व्यय लगातार बढ़ा है, जो 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपए हो गया है। अब ध्यान केवल हथियार हासिल करने पर ही नहीं, बल्कि घरेलू क्षमता के निर्माण पर भी है। वर्ष 2024-25 के दौरान, रक्षा उत्पादन 1.50 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर को छू गया जो 2014-15 के उत्पादन स्तर से तीन गुना से भी अधिक है। लड़ाकू विमान, मिसाइल प्रणालियां, तोपखाना प्रणालियां, युद्धपोत, नौसैनिक पोत, विमानवाहक पोत तथा और भी बहुत कुछ अब भारत में बन रहे हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि कैसे आत्मनिर्भरता और प्रतिरोध हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के मूल आधार बन गए हैं।

पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात 34 गुना बढ़कर 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपए का हो गया। भारतीय उपकरण अब संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया सहित 100 से अधिक देशों को निर्यात किए जाते हैं। भारत अब केवल रक्षा से जुड़े उत्पादों का एक बड़ा आयातक ही नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ निर्यातक भी बने।

रक्षा विभाग का कहना है कि पिछले एक दशक से भारत की रक्षा नीति आत्मनिर्भरता के सिद्धांत से प्रेरित रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने, स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर रक्षा से जुड़ा एक प्रतिस्पर्धी इकोसिस्टम बनाने के उद्देश्य से संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाया है। केंद्र की रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित श्रेणी को प्राथमिकता देती है, जिससे स्थानीय डिजाइन, विकास और उत्पादन पर अधिकतम निर्भरता सुनिश्चित होती है।

रक्षा प्लेटफार्मों के डिजाइन, विकास और उत्पादन में भारतीय उद्योगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मेक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया। मेक श्रेणियों के अंतर्गत, 100 करोड़ रुपए प्रति वर्ष तक की खरीद वाली परियोजनाओं को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए निर्धारित किया गया है। अब तक सेना, नौसेना, वायु सेना एवं आईडीएस मुख्यालय की 146 परियोजनाओं को विभिन्न ‘मेक’ श्रेणियों के तहत ‘सैद्धांतिक स्वीकृति’ दी जा चुकी है। भारत ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

विशेषकर, रूस के साथ हुआ 2019 का अंतर-सरकारी समझौता भारत में रूसी-निर्मित प्लेटफार्मों के लिए पुर्जों के संयुक्त उत्पादन को संभव बनाता है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होती है। भारत ने सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध एक दृढ़ और स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाया है। पिछले एक दशक के दौरान की गई कार्रवाई का पैटर्न इसी नीति को दर्शाता है। वर्ष 2016 में उरी हमले के बाद, भारत ने नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक की। वर्ष 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत ने बालाकोट में एक आतंकवादी शिविर पर सटीक हवाई हमले किए। सबसे हालिया और निर्णायक कार्रवाई मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में की गई। पहलगाम में आम नागरिकों की हत्या के जवाब में, भारत ने अपने सशस्त्र बलों को कार्रवाई करने की पूरी आजादी दी।

ड्रोन और सटीक हथियारों का उपयोग करते हुए, उन्होंने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू एवं कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों पर हमला किया। कुल 100 से अधिक आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया। जिनमें आईसी-814 अपहरण और पुलवामा हमले से जुड़े लोग भी शामिल थे। पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों से जवाबी हमले करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय ड्रोन-रोधी प्रणालियों ने उन्हें नाकाम कर दिया। वर्ष 2025 के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को ‘एक नया मानदंड’ बताया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि जब भी आतंकवाद भारत के नागरिकों के लिए खतरा बनेगा, तो भारत पूरी ताकत से जवाब देगा।

–आईएएनएस

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