मुंबई: मुंबई में फर्जी टीकाकरण की खबरों के बाद टीका की गुणवत्ता को लेकर लोगों में एक डर बैठ गया है। गृह संकुलों ,एनजीओ और निजी अस्पतालों में टीकाकरण अभियान में टीका ले चुके लोग डरे हुए हैं।
अवैध टीकाकरण अभियान की जांच कर रही मुंबई पुलिस ने के अनुसार 25 मई से 6 जून के बीच इन शिविरों में टीकों के स्थान पर 2,060 से अधिक लोगों को सलाइन वाटर के डोस लगाए गये। पुलिस ने इस सिलसिले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने इस मामले में मुख्य कड़ी के तौर पर शिवम अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया और उसे सील कर दिया है।
ये अभियान मुंबई के परेल और अधिकतर उपनगरीय इलाके कांदिवली, मलाड, बोरीवली, अंधेरी, खार, और वर्सोवा में चलाए गए थे। इसके अलावा ठाणे, नवी मुंबई में भी ऐसे मामले सामने आए हैं।
संयुक्त पुलिस आयुक्त विश्वास नांगरे पाटिल के अनुसार पुलिस ने राहुल दुबे नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो शिवम अस्पताल से जुड़ा था। उसने कबूल किया कि उसने अन्य आरोपियों के साथ शीशियों में सलाईन वाटर भर दिया।
इस मामले में नीता पटारिया, शिवराज, मनीष त्रिपाठी ,राहुल दुबे, राजेश पांडे और मलाड मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व सदस्य महेंद्र सिंह मुख्य आरोपी हैं।कांदिवली पुलिस ने अब तक नौ फर्जी कैंपों के सिलसिले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
इन नौ ड्राइवों के अलावा, कांदिवली (पूर्व) के समता नगर और अंधेरी (पूर्व) में एमआईडीसी में इस तरह के दो और अभियान सामने आए हैं। आगे की जांच यह पता लगाने के लिए की जा रही है कि लगा गए टीके असली थे या नकली! इन दो ड्राइवों में 1,600 से अधिक लोगों को टीका लगाया गया। जिनमें से सिर्फ 48 लोगों को टीकाकरण प्रमाण पत्र मिला। इसमें गंभीर बात यह है कि इस टीकाकरण के लिए बीएमसी से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।
इधर बीएमसी के सामने सबसे बड़ा मसला इस बात का पता लगाना है कि जिन लोगों को फर्जी टीका लगाया उस टीके के द्रव्य की वास्तविकता क्या है ?और कितने लोगों को फर्जी टीके लगाए गए?
बकौल अपर आयुक्त सुरेश काकानी, कांदिवली फर्जी टीकाकरण के तहत वास्तव में किसे टीका लगाया गया या टीके के बजाय किसे कुछ मिश्रित पानी, रसायन आदि दिया गया था, यह सवाल अनुत्तरित हैं।
30 मई को कांदिवली में हीरानंदानी सोसाइटी के 390 निवासियों को कुछ निजी व्यक्तियों द्वारा 1,260 रुपये में टीका लगाया गया था। हालांकि, जब उन्हें टीकाकरण को लेकर संदेह हुआ तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
बीएमसी अब टीकाकरण के तहत उन्हें दिए गए टीके की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए सभी लोगों की मैडिकल जांच करेगी। जिन लोगों को वास्तविक वैक्सीन मिली है, उनको दूसरी खुराक के लिए 84 दिन इंतजार करना होगा। जिनको फर्जी वैक्सीन दी गई है, उनकी पूरी तरह से मेडिकल जांच के बाद ही उन्हें वैक्सीन की नई खुराक देने का फैसला किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि वे सभी 2,680 लोगों का एंटीबॉडी परीक्षण कराने के बारे में सोच रहे हैं। उसके बाद, ही उचित टीकाकरण की योजना बनाएंगे और केंद्र सरकार के साथ इस मामले पर चर्चा कर उन्हें को-विन पर पंजीकृत करेंगे।