नई दिल्ली। कोरोना काल में पुस्तक उद्योग को छूट देने की बजाय सरकार ने न केवल कागजों के दाम बढ़ा दिए बल्कि जनवरी में शुरू हो रहे विश्व पुस्तक मेले में हिंदी तथा भारतीय भाषाओं के लिए स्टाल की छूट कम कर दी है।
राष्ट्रीय हिंदी प्रकाशक संघ ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर गुहार की है।इस से पहले प्रकाशक संघ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास को भी इस आशय का पत्र लिख चुका है।
संघ के महासचिव महेश भारद्वाज ने कल श्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में कहा है कि नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया द्वारा आयोजित 30वे विश्व पुस्तक मेले में ट्रस्ट के बदले रवैये की वजह से हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं के प्रकाशकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।विश्व पुस्तक मेले की शुरूआत से ही हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के प्रकाशकों को अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार की नीति के तहत उन्हें स्टॉल किराये में 50 प्रतिशत की छूट दी जाती रही है लेकिन गत वर्ष यह छूट 40 प्रतिशत कर दी गयी और इस साल 30 प्रतिशत कर दी गयी है।
उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि पुस्तक मेले की उपयोगिता बढ़ाने के लिए हिन्दी और भारतीय भाषाओं के प्रकाशकों को स्टाल समायोजन की सुविधा भी प्रदान की जाती रही है।लेकिन 30वे विश्व पुस्तक मेले में दोनों ही सुविधा को वैकल्पिक बना दिया है। साथ ही जी.एस.टी. के साथ स्टॉल किराये में छूट घटकर आधी रह गई है। इससे प्रकाशकों, पाठकों, लेखकों में निराशा का माहौल है। कोरोना महामारी की वजह से पहले ही प्रकाशन उद्योग चरमरा रहा है, उस पर स्टॉल किराये में भारी बढ़ोतरी और स्टॉलों के समायोजन न हो पाने से इस उद्योग की निराशा और बढ़ेगी।
पत्र में स्टॉल किराया जमा करने की अंतिम जमा तिथि 30 नवम्बर 2021 तक बढ़ाई जाने की भी मांग की गई है।
श्री भारद्वाज ने शिक्षा मंत्री से प्रकाशकों के उपरोक्त प्रस्तावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए नेशनल बुक ट्रस्ट को उपरोक्त मागों को स्वीकार करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।
इंडिया न्यूज स्ट्रीम