नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा परिसर में कथित ‘फांसी घर’ को लेकर उपजे विवाद पर दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने पूर्व की आम आदमी पार्टी सरकार और इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आरोप लगाया।
शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने इस मामले में स्पष्ट रूप से कहा कि विधानसभा की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व को गलत तरीके से प्रस्तुत करना दुखद है।
विधानसभा परिसर में 2022 में जिस जगह को तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘फांसी घर’ के रूप में उद्घाटित किया था, वह वास्तव में नेशनल आर्काइव के 1911 के नक्शे के अनुसार एक ‘टिफिन रूम’ था, जिसका उपयोग भोजन पहुंचाने के लिए किया जाता था।
बिष्ट ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में ऐसी कोई ऐतिहासिक संरचना, जो फांसी देने के लिए हो, कभी थी ही नहीं, और इसे झूठा प्रचारित करना गलत है।
बता दें कि इस मुद्दे को विशेषाधिकार समिति को सौंपा गया है, जो अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, और तत्कालीन स्पीकर राम निवास गोयल से पूछताछ करेगी, इसके साथ हीं फांसी घर के शिलालेख को हटाने का निर्णय लिया गया है।
दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली विधानसभा परिसर में ‘टिफिन रूम’ को ‘फांसी घर’ के रूप में पेश करने को शहीदों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस कार्रवाई के पीछे छिपी मंशा थी, और इसे शहीदों को बदनाम करने का प्रयास बताया।
सिरसा ने दावा किया कि इस झूठे दावे के जरिए करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ, जिसके लिए केजरीवाल को समन जारी करना उचित था। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करना निंदनीय है, खासकर जब यह शहीदों के सम्मान से जुड़ा हो।
इस मामले में विशेषाधिकार समिति द्वारा जांच शुरू की गई है और सख्त कार्रवाई करने की मांग उठी है।
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में फांसी घर के शिलालेख को हटाने का निर्णय लिया गया है। विशेषाधिकार समिति पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और तत्कालीन स्पीकर राम निवास गोयल से पूछताछ करेगी।
सिरसा ने उस घटना की भी निंदा की है। जिसमें पीतमपुरा के एक रेस्टोरेंट में भारतीय परिधानों पर रोक लगाई गई। सिरसा ने कहा कि ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
—आईएएनएस