नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने दिल्ली सरकार के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा, सरकार ने विद्युत कंपनियों के 3229 करोड़ रुपये का बकाया को पूरी तरह से माफ कर दिया। जबकि यह बकाया केजरीवाल सरकार को प्राइवेट कंपनियों द्वारा लिए जाने थे। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार द्वारा बीएसईएस डिस्कॉम को दी जाने वाली सब्सिडी में कथित ‘अनियमितताओं’ की जांच के आदेश दिए हैं और मुख्य सचिव से 7 दिन में रिपोर्ट भी मांगी है।
भाजपा के मुताबिक, दिल्ली के नागरिकों को छूट देने की बात सिर्फ झूठी बुनियादी बातें थी। क्योंकि केजरीवाल का मकसद सिर्फ बीच में बिचौलियों को लाभ पहुंचाने का था। लेट फीस के नाम पर प्राइवेट कंपनियों को 18 फीसदी वसूली की अनुमति केजरीवाल सरकार ने दी, लेकिन वहीं कंपनियां 12 फीसदी ही दिल्ली सरकार को दिया जबकि 6 फीसदी रकम कहां गयी, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। 6 फीसदी यानी लगभग 8000 करोड़ रुपये कहां गये, इसकी जानकारी किसी को नहीं मिली।
सुधांशु त्रिवेदी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, बोर्ड में हमेशा से अधिकारी और निजी कंपनियों के ही आदमी शामिल रहते थे, लेकिन यह पहली बार हो रहा है कि जब केजरीवाल सरकार ने अपने दो व्यक्तियों प्रवक्ता जास्मिक शाह और राज्यसभा सांसद के एक बेटे को नियुक्त किया। आखिर सरकार ने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे क्या कारण था, इसका जवाब आज तक नहीं दे पाई। जब सत्ता में नहीं थे तो केजरीवाल ने कहा था कि जब वह सत्ता में आएंगे तो वे भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे, लेकिन आज विद्युत कंपनियों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार को अंजाम दे चुके हैं।
उन्होंने केजरीवाल से सवाल करते हुए कहा कि, जब दिल्ली में एलपीजी पर सब्सिडी दी जा सकती है तो बिजली पर सब्सिडी क्यों नहीं दी जा सकती है। जनता को सब्सिडी लाभ देने से पहले भ्रष्टाचार करने का उद्देश्य केजरीवाल का था और जब उस भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया गया तो सब्सिडी भी वापस ले जी गयी।
दरअसल एलजी सचिवालय को बिजली सब्सिडी मामले में अनियमितता की शिकायत मिली है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता जैस्मीन शाह और दिल्ली डायलॉग कमीशन की उपाध्यक्ष और आप सांसद, एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता ने कथित तौर पर घोटाला किया है।
–आईएएनएस