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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सत्तारूढ़ दल भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपनी विजय पताका फहरा दी है। 2015 में यूपी की आधी से ज्यादा सीटों पर राज करने वाली सपा को करारा झटका लगा है। भाजपा ने कांग्रेस और सपा की गढ़ कहे जाने वाले जिलों भी सेंधमारी की है। जिला पंचायत चुनाव परिणाम को 2022 के विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
वेस्ट यूपी में भी एक सीट को छोड़कर 13 जिलों में विपक्ष पूरी तरफ से साफ हो गया। यहां भी भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। बागपत में रालोद ने कब्जा बरकरार रखा। 75 में से 67 भाजपा, पांच सपा, एक-एक लोकदल और जनसत्ता दल ने सीट जीती। वहीं एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई है। बलिया और एटा में सपा उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। आजमगढ़ में सपा की एक तरफा जीत हुई है। वहीं बुंदेलखंड की सात सीटों में से तीन पर चुनाव हुआ। चार पहले ही निर्विरोध जीतकर भाजपा के खाते में चली गईं। शेष तीन पर भी भाजपा ने चुनाव जीतकर बाजी मार ली।
सोनिया गांधी का गढ़ कहे जाने वाली रायबरेली सीट भी भाजपा ने अपने कब्जे में कर ली है। वहीं सपा का गढ़ मैनपुरी में भी भाजपा प्रत्याशी का परचम लहराया है।
भाजपा को एटा, संतकबीरनगर, आजमगढ़, बलिया, बागपत, जौनपुर और प्रतापगढ़ में छोड़कर अन्य 44 जिलों में जीत मिली है। 75 जिलों में से भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में से 13 में, बृज क्षेत्र के 12 जिलों में 11, कानपुर क्षेत्र के 14 जिलों में 13, अवध क्षेत्र के 13 जिलों में 13, काशी क्षेत्र के 12 जिलों में दस तथा गोरखपुर क्षेत्र के 10 जिलों में से सात में जीत मिली है।
भाजपा ने कुल 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर 67 में जीत दर्ज की है। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के खाते में पांच में सीट हैं। राष्ट्रीय लोकदल ने एक सीट पर जीत दर्ज की। जौनपुर से निर्दल श्रीकला रेड्डी और प्रतापगढ़ में जनसत्ता दल जनतांत्रिक की माधुरी पटेल जीती हैं।
भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि 75 में से 67 सीटों पर भाजपा व उसके सहयोगियों ने जीत का परचम लहराया है। समाज के हर वर्ग और इसके प्रतिनिधि ने भाजपा को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पंचायत चुनाव में जीत कर आए जनप्रतिनिधि अन्त्योदय पथ पर बढ़ते हुए मोदी सरकार व योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।
कहा कि भाजपा पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक के हर चुनाव में जनता के अभूतपूर्व समर्थन व कार्यकर्ताओं के परिश्रम से ऐतिहासिक विजय हासिल कर रही है।
उत्तर प्रदेश की सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा को प्रत्याशियों को निर्दलियों का काफी समर्थन मिला है। इसके साथ ही भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली अपना दल (एस) को भी दो में से एक सीट पर जीत मिली है।
प्रदेश के 75 जिलों में जिन 22 जिलों में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं, उनमें 21 भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इटावा में समाजवादी पार्टी ने अपना गढ़ बचाने में सफलता प्राप्त की है। 29 जून को नाम वापसी की अवधि गुजरते ही सभी के चुने जाने की घोषणा कर दी गई। निर्विरोध चुने गए अध्यक्षों में जहां 21 भाजपा के हैं वहीं एक मात्र इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी ही सपा के हाथ लगी है।
–आईएएनएस