अमरावती । पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को बड़ी राहत देते हुए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार को उन्हें तीन मामलों में अग्रिम जमानत दे दी।
न्यायाधीश टी. मल्लिकार्जुन राव ने अमरावती इनर रिंग रोड, रेत और शराब मामलों में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) सुप्रीमो की जमानत याचिकाओं पर आदेश सुनाए।
अदालत ने उन्हें ऐसी कोई भी टिप्पणी करने से परहेज करने का निर्देश दिया जो जांच को प्रभावित कर सकती हो।
शराब मामले में पूर्व मंत्री कोल्लू रवींद्र और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्रीनरेश को भी अग्रिम जमानत मिल गई।
सीआईडी ने पिछले साल 9 सितंबर को आंध्र प्रदेश कौशल विकास निगम मामले में गिरफ्तारी के बाद नायडू के खिलाफ ये मामले दर्ज किए थे।
52 दिन जेल में बिताने के बाद उच्च न्यायालय से जमानत मिलने पर नायडू 31 अक्टूबर को जेल से बाहर आ गए थे।
जब वह जेल में थे, तब सीआईडी ने उनके खिलाफ अमरावती इनर रिंग रोड के निर्माण में कथित अनियमितताओं और 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान कुछ शराब कंपनियों को कथित रूप से लाभ पहुंचाने के लिए दो मामले दर्ज किए थे।
टीडीपी प्रमुख ने अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। तीनों में अलग-अलग तारीखों पर फैसला सुरक्षित रखा गया था।
कौशल विकास निगम मामले में नायडू और अन्य पर आरोप थे कि उन्होंने कौशल विकास केंद्र स्थापित करने के नाम पर राज्य के खजाने को 300 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।
दो दिन बाद सीआईडी ने अमरावती इनर रिंग रोड मामले में नायडू के खिलाफ मामला दर्ज किया।
नायडू को जमानत मिलने और जेल से रिहा होने से कुछ दिन पहले शराब का मामला दर्ज किया गया था।
आंध्र प्रदेश राज्य पेय पदार्थ निगम लिमिटेड (एपीएसबीसीएल) एमएनडी डी. वासुदेव रेड्डी की शिकायत के बाद सीआईडी ने नायडू, तत्कालीन उत्पाद शुल्क मंत्री कोल्लू रविंदा और तत्कालीन उत्पाद शुल्क आयुक्त श्रीनरेश के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
सीआईडी ने आरोप लगाया कि उचित प्रक्रिया और व्यावसायिक नियमों का पालन किए बिना उनके द्वारा लिए गए फैसलों से सरकारी खजाने को 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसने उन पर खुदरा और बार लाइसेंस धारकों के साथ-साथ एपीएसबीसीएल को शराब की आपूर्ति करने वाली कुछ कंपनियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया।
2 नवंबर को सीआईडी ने मुफ्त रेत नीति को लेकर नायडू के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया।
पूर्व खान एवं भूविज्ञान मंत्री पीठला सुजाता, पूर्व विधायक चिंतामनेनी प्रभाकर और देवीनेनी उमामहेश्वर राव पर भी मामला दर्ज किया गया है।
आरोप लगाया गया है कि नायडू, उनके तत्कालीन कैबिनेट सहयोगी और रेत वाले क्षेत्रों के विधायकों और अन्य को मुफ्त रेत नीति से काफी फायदा हुआ।
सीआईडी ने अपनी प्राथमिकी में कहा कि तत्कालीन सरकार द्वारा उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना मुफ्त रेत नीति लागू की गई थी।
नायडू ने अपनी अग्रिम जमानत याचिकाओं में तर्क दिया था कि चुनाव तक उन्हें जेल में रखने के उद्देश्य से सत्ताधारी सरकार द्वारा शुरू किए गए राजनीतिक प्रतिशोध के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
–आईएएनएस