अरविंद केजरीवाल की राजस्थान में चल रही मौन साधना क्या गुल खिलायेगी?

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इन दिनों आत्म साधना और आत्म निरीक्षण के लिए जयपुर आगरा राष्ट्रीय राज मार्ग पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गलताजी के निकट पहाड़ियों के मध्य घने जंगल और शान्त वातावरण में स्थित एशिया के सबसे बड़े धम्म थली विपश्यना ध्यान और साधना केंद्र में दस दिनों के प्रवास पर है।

जयपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर यह ध्यान केंद्र वर्षों से शांति चाहने वाले लोगों को आकर्षित करता रहा है। विपश्यना का अभ्यास करने वालों को बोलने की अनुमति नहीं होती है और यह नियम दिल्ली के मुख्यमंत्री पर भी लागू है और वह केंद्र में मौन धारण किए हुए हैं।
उनके जयपुर जाने के बाद पीछे से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मानसून की भारी रिकार्ड तोड़ वर्षा हुई जिसके कारण दिल्ली पानी-पानी हो गई और साधना लेने हेतु दस दिनों के लिए केजरीवाल के मोन व्रत धारण कर लेने एवं मोनी बाबा बन जाने से लावारिस दिल्ली में कई चर्चायें शुरू हो गई। दिल्ली में लगातार तीन चार दिन की भारी वर्षा से उत्पन्न परिस्थितियों से दिल्ली सरकार के दावों की पोल खुल गई और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के हर इलाके में सड़के और पुल दरिया बन गए।जगह-जगह सीवरेज और नालों से पानी की निकासी नहीं होने से दिल्लीवासियों को भारी ट्रेफ़िक जाम से जूझना पड़ा। एक बार तो दिल्ली में मुम्बई की सड़कों जैसे हालात बन गए।परेशान लोग यह कहते सुने गए कि यह तो “जब रोम जल रहा था तो वहाँ का राजा बाँसुरी बजा रहा था”जैसी स्थिति है। केजरीवाल की अनुपस्थिति में कामकाज देखने के लिए जिम्मेदार दिल्ली के उप मुख्यमन्त्री मनीष सिसोदिया भी उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अगले वर्ष होने वाले चुनावी चौसर बिछाने में मशगूल रहें।

आम आदमी की तरह साधना कर रहा है ‘आम आदमी पार्टी’ का चीफ

इधर ध्यान केंद्र में केजरीवाल एक ‘आम आदमी’ की जिंदगी जी रहे हैं, जहां वह सभी वीआईपी सुविधाओं से दूर रह कर बिना किसी सहयोगी के खुद अपना सारा काम कर रहे हैं। एकांत कमरे में वे बिना किसी मोबाइल फ़ोन न्यूज़ पेपर टीवी रेडियो आदि सुविधाओं के बिना अकेले हैं। यहां तक वे केन्द्र के नियमों के अनुसार अपने घर वालों के संपर्क में भी नहीं है।

केजरीवाल केंद्र के उन सभी सत्रों में सक्रिय रुप से भाग ले रहे हैं, जिनमें अन्य ध्यान लगाने वाले व्यक्ति भी ले रहे हैं। वह अन्य लोगों की तरह ही केन्द्र के सभी नियमों का पालन भी कर रहे हैं। सुबह 4 बजे उठ जाते है और 6 बजे तक अपने ध्यान कक्ष में रहते हैं।इसके बाद स्नान, नाश्ते आदि के लिए जाते हैं। केंद्र में ध्यान लगाने के पहुंचा प्रत्येक व्यक्ति खुद को तलाशने के लिए एक कमरे में रहता है और दिन में केवल एक बार ही भोजन परोसा जाता है। यही नियम दिल्ली के सीएम पर भी लागू हो रहें हैं।दोपहर के भोजन के बाद, एक घंटे की आराम अवधि होती है। सोने से पहले, अभ्यासियों को एक वीडियो दिखाया जाता है, जो विपश्यना के लाभों को दर्शाता है।

केन्द्र के एक अंदरूनी साधक के अनुसार केजरीवाल केंद्र में एक आम आदमी की तरह ही भोजन और दिनचर्या निभा रहें है और परंपरागत जीवन से खुद को अलग कर कड़ी तपस्या से गुजर रहे है । केजरीवाल ने इस दौरे को व्यक्तिगत रखा है और वह किसी स्थानीय नेता के संपर्क में नहीं हैं।पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि “विपश्यना का मतलब सांसारिक मामलों से अलग होना है और हमारे मुख्यमंत्री भी उसी नियम का पालन कर रहे हैं।”

जयपुर के विपश्यना केंद्र में जहां इन दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ध्यान और साधना शिविर में मग्न है वहाँ खासतौर से पंचशील का पालन कराया जाता है।इसमें अहिंसा, चोरी नहीं करना, ब्रह्मचर्य, सत्य बोलना, व्यसन मुक्त जीवन आदि शामिल है। विपश्यना साधनाऔर
ध्यान-विधि एक ऐसा सरल और कारगर उपाय है, जिससे मन को वास्तविक शांति प्राप्‍त होती है और इससे एक सुखी और उपयोगी जीवन बिताना संभव हो जाता है। विपश्यना का अभिप्राय है, जो वस्तु सचमुच जैसी हो, उसे उसी प्रकार जान लेना। आत्म-निरीक्षण द्वारा मन को निर्मल करते-करते ऐसा होने ही लगता है। हम अपने अनुभव से जानते हैं कि हमारा मानस कभी विचलित हो जाता है, कभी हताश, कभी असंतुलित।इस कारण जब हम व्यथित हो उठते हैं, तब अपनी व्यथा अपने तक सीमित नहीं रखते, दूसरों से बांटने लगते हैं। विपश्यना हमें इस योग्य बनाती है कि हम अपने भीतर शांति और सामंजस्य का अनुभव कर सकें। यह साधना चित्त को निर्मल बनाती है तथा चित्त की व्याकुलता और इसके कारणों को दूर करती है। यदि कोई इसका अभ्यास करता रहे तो कदम-कदम आगे बढ़ता हुआ अपने मानस को विकारों से पूरी तरह मुक्त करके नितान्त विमुक्त अवस्था का साक्षात्कार कर सकता है।

केजरीवाल को विपश्यना टीचर मुंबई के भरत ग्रोवर साधना करवा रहे हैं।
शिविर के समन्वयक कमल अग्रवाल है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के स्टेट गेस्ट होने के कारण साधना स्थल विपश्यना केंद्र पर राजस्थान सरकार की ओर से प्रदत्त प्रोटोकॉल का पूरा पालन हो रहा है। विपश्यना केन्द्र के बाहर पूरा कारकेड,प्रोटोकोल और सुरक्षा व्यवस्था तैनात हैं पर किसी को 10 दिन तक विपश्यना केंद्र में आने जाने की अनुमति नहीं है। सिर्फ साधक और साधना केंद्र से जुड़े सेवको को ही विपश्यना केंद्र में जाने की इजाजत है।

विपश्यना केन्द्र के एक प्रवक्ता के अनुसार केजरीवाल ने पहले तीन दिन तक श्वास के प्रति सजगता का अभ्यास करते हुए पूरी तरह से अपने आपको एवं अपने मन को बाहर की दुनिया से निकालने के अभ्यास के बाद चौथे दिन से मुख्य ध्यान और साधना में जुटे हुए है। यह क्रम नौवें दिन तक चलेगा। यही साधना का सबसे कठोर चरण है। इसमें सांसों के नियंत्रण से स्वयं को पहचानना सिखाया जाता है।अंतिम दसवें दिन शांति की प्राप्ति होने पर उन्हें अपने अनुभव बांटने की अनुमति प्रदान की जायेगी।

केजरीवाल विगत रविवार 29 अगस्त को दोपहर इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली से जयपुर पहुंचे थे । वह हवाई अड्डे से सीधे विपश्यना केंद्र में पहुंचे। जयपुर में रहते हुए केजरीवाल न तो किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे और न ही आम आदमी पार्टी (आप) के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे। यह उनका निजी दौरा बताया गया है। आप के प्रदेश पदाधिकारियों को केजरीवाल के जयपुर आने की अधिकारिक सूचना भी नहीं दी गई है।

विपश्यना के बहाने राजस्थान की सियासत पर तो नज़र नहीं?

इधर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि विपश्यना के बहाने केजरीवाल राजस्थान की सियासत पर नज़रें टिकायें हुए हैं। बताते है कि पंजाब, गोवा और गुजरात के बाद आम आदमी पार्टी (आप) की नज़रें अब राजस्थान पर है।अगले साल, 2023 में होने वाले आप आदमी पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य में भी अपनी पैठ मजबूत करने में जुटी है। इसी के तहत अरविंद केजरीवाल और राजस्थान से ताल्लुक़ रखने वाले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछलें दिनों राजस्थान के निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला के साथ लंबी मुलाकात की थी । जानकार लोग बताते है कि दिल्ली में केजरीवाल के निवास पर हुई इस मुलाकात में राजस्थान में आप पार्टी का जनाधार मजबूत करने को लेकर चर्चा हुई थी ।यह भी बताते है कि हुडला ने दो निर्दलीय विधायकों के साथ ही कुछ पूर्व विधायकों एवं विभिन्न समाजों के वरिष्ठ नेताओं की सूची भी केजरीवाल को सौंपी है।हालाँकि राजस्थान में अभी तक कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के रुप में तीसरे मौर्चे या दल का प्रयोग सफल नहीं हुआ है फिर भी अन्य प्रदेशों की तरह आम आदमी पार्टी राज्य के मतदाताओं के समक्ष कांग्रेस और भाजपा का मजबूत विकल्प बनने की तैयारी में जुट गई है।

क्या राजस्थान में भी होगा फ्री बिजली का वादा?

बताया जा रहा है कि केजरीवाल, सिसोदिया और हूडला की बैठक में हुई चर्चा के अनुसार केजरीवाल द्वारा पंजाब, उत्तराखंड और गोवा की तर्ज पर राजस्थान में भी 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया जा सकता है । साथ ही आप पार्टी उपभोक्ताओं के पुराने बिजली के बिल माफ करने का भी वादा कर सकती है। आप पार्टी ने राज्य की शहरी विधानसभा सीटों पर विशेष जोर देने की योजना बनाई है। इसके साथ ही दिल्ली सीमा से सटे अलवर व भरतपुर और शेखावटी इलाक़े के जिलों सीकर झुँझुनू चूरु आदि पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में पार्टी का जनाधार बढ़ाने और संगठन मजबूत करने के लिहाज से राज्य को अलग-अलग जोन में बांटकर वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी बनाया जाएगा। व्यापारी और बुद्धिजीवी वर्ग के साथ ही युवाओं को जोड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। केजरीवाल और सिसोदिया के साथ हुई मुलाकात के बारे में हूडला का कहना है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने फ्री पानी,बिजली के साथ शिक्षा,चिकित्सा, बेहतर सफाई और राशन वितरण की योजनाओं का बेहतर ढंग से संचालन कर रखा है। इससे प्रदेश के वोटर प्रभावित हो सकते है। 

आप पार्टी उत्तर प्रदेश की रणनीति के तहत राजस्थान की सभी 200 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है ।आप राज्य में विस्तार मोड पर है और नए लोगों को नई जिम्मेदारी देने पर विचार कर रही है ।

अब देखना है कि राजनीति के जादूगर माने जाने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा की क़द्दावर मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे के रहते दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की राजस्थान में चल रही मौन साधना:क्या गुल खिलाती है?

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