नई दिल्ली।कुछ दिनों पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि जब तक राजस्थान में कैबिनेट का पुनर्गठन नहीं होगा तब तक मीडिया अफवाहों के खेल में फंस गया है।उन्होंने कहा कि अपनी हाल की दिल्ली यात्रा में मेरी न तों सोनिया जी से और नहीं राहुल जी से अलग से रुबरू कोई मुलाक़ात नहीं हुई। मीडिया में जो कुछ भी आया है वह यथार्थ नहीं है ।
गहलोत ने सौलह अक्टूबर की अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान कांग्रेस मुख्यालय में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय दस अकबर रोड पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी की अध्यक्षता में दिन भर आयोजित हुई कांग्रेस कार्यसमिति और रात को जयपुर लौटने से पहले राहुल गांधी के बारह तुग़लक़ लेन स्थित निवास पर प्रियंका गाँधी एवं संगठन मन्त्री के सी वेणु गोपाल और राजस्थान के प्रभारी अजय माकन की मौजूदगी में राजस्थान के सम्बन्ध में हुई एक अन्य बैठक में भाग लेने की बात स्वीकार की लेकिन सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी से वन टू वन मिलने की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया।
बावजूद इन सभी बातों के प्रदेश के दौरें पर जब कभी प्रदेश प्रभारी अथवा अन्य कोई केन्द्रीय नेता आता है तों मंत्री परिषद और संगठन में फेरबदल की खबरें फिर चर्चा में आ जाती है।
हाल ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान प्रभारी अजय माकन के हवाले से खबर आई है कि राजस्थान में अब कभी भी मंत्रिमण्डल में फेरबदल हो सकता है और इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इन खबरों में कहा गया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अजय माकन के बीच हाल ही जयपुर में हुई मुलाकात में मंत्रिमण्डल एवं राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर महामंथन हुआ है और माकन ने कहा है कि राजस्थान के बहु प्रतीक्षित मामलों पर जल्द ही फैसला होगा। बताते है इस मुलाकात के समय पीसीसी चीफ गोविंदसिंह डोटासरा भी मौजूद रहें।
इन खबरों से कई नेताओं के मन में लालबत्ती मिलने की उम्मीद जगी है और राजस्थान में मंत्रिमण्डल फेरबदल को लेकर काउंटडाउन शुरू हो गया हैं। खबरों में यह भी कहा गया है कि दिल्ली में प्रियंका गांधी और के सी वेणुगोपाल की मौजूदगी में तय हुए फार्मूले के अनुसार माकन व गहलोत के बीच हुए महामंथन में मंत्रिमण्डल में किन चेहरों को जगह मिलेगी और पार्टी संगठन में दायित्व को लेकर किनकी छुट्टी होगी ? इसकी कवायद पूरी कर ली गई हैं। राजनीतिक जानकार इसे पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को आलाकमान की ओर से संतुष्ट करने के फॉर्मूले के रूप में देखते है, क्योंकि एक साल पहले पायलट ने अपने समर्थको के साथ आलाकमान के समक्ष जो मांगे रखी थी उसको लेकर अभी तक कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पिछले दिनों राज्यपाल कलराज मिश्र से राजभवन जयपुर में हुई शिष्टाचार मुलाकात में उन्हें आागामी दिनों होने वाले मंत्रिमण्डल के शपथ ग्रहण समारोह के बारे में संकेत दिया गया है।
*कुछ मंत्री बदल सकते है*
बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान राजस्थान के लिए गठित समन्वय समिति कामराज फार्मूले को अपनाते हुए एक पद-एक व्यक्ति के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण फैसले कर सकती हैं। ऐसा होने पर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री डॉ रघु शर्मा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा एक ही पद पर रह सकेंगे। इसके अलावा संगठन में चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा भी हैं । बताया जाता है कि खान मंत्री प्रमोद भया जैन, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास,खेल राज्यमंत्री अशोक चांदना और महिला बाल विकास राज्य मंत्री ममता भूपेश को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। साथ ही कुछ मंत्रियों छुट्टी होने की बात भी कही जा रही है जिसमें उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी, गृह रक्षा राज्य मंत्री भजन लाल जाटव, जनजाति राज्यमंत्री अर्जुन सिंह बामनिया, मोटर गैराज राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह यादव आदि के नाम बताए जाते है।
इसके अलावा बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र सिंह गुढ़ा को मंत्री बनाए जाने पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी को हटाया जा सकता है। इसके अलावाबताते है कि बीएसपी के जोगिंदर सिंह अवाना, संदीप कुमार, वाजिद अली,दीपचंद और लाखन सिंह में से किस को राज्यमंत्री या संसदीय सचिव बनाया जाए ? इसका निर्णय मुख्यमंत्री गहलोत को करना है। बताते है कि सचिन पायलट गुट के पाँच-छह लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की कवायद भी चल रही है इसमें तीन-चार कैबिनेट और दो- तीन राज्य मंत्री शामिल ही सकते है। इसके अलावा चार या पांच विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने की चर्चा है। माना जा रहा है कि पायलट ग्रूप से दीपेंद्र सिंह शेखावत,रमेश मीणा और हेमाराम चौधरी को कैबिनेट मंत्री और बृजेंद्र ओला, मुरारी लाल मीणा आदि को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। पहली बार के विधायकों को संसदीय सचिव के रुप में समायोजित किए जाने के आसार है ।
इसी प्रकार कांग्रेस को समर्थन दें रहें निर्दलीय विधायक़ों में से संयम लोढ़ा, महादेव सिंह खंडेला,खुशवीर सिंह रामकेश मीणा आदि को भी शामिल किया जा सकता है । इसके अलावा विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव भी होना है तथा इसके लिए कई नाम चर्चा में है।
राजनीतिक पण्डितों के अनुसार सबसे पेचीदा मामला सचिन पायलट को क्या जिम्मेदारी सौंपी जाए ? इस बात पर फँसा हुआ है। कांग्रेस कार्य समिति ने संगठन के चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है ऐसे में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को हटाए जाने की संभावना नहीं दिखती। फिर भी सभी की नज़रें हाई कमान की ओर टिकी हुई हैं।
*आयोगों और कई विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के पद रिक्त*
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार माना जा रहा है कि वल्लभनगर और धरियावद के उपचुनाव और धौलपुर एवं अलवर जिले के जिला परिषद चुनाव संपन्न होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां होने के आसार बन रहे हैं। बताते है कि राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर पूरी कवायद पहले ही कर दी गई है। साथ ही संवैधानिक पदों पर नियुक्ति को लेकर भी चर्चा हुई हैं। प्रदेश में आधा दर्जन से ज्यादा संवैधानिक आयोगों और कई विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के पद रिक्त पड़े हैं। उनको भरने के लिए बताते है कि मुख्यमंत्री गहलोत और राज्यपाल मिश्र के मध्य लम्बी चर्चा हुई हैं।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही अधिकांश बोर्ड-निगम और आयोग के यें पद रिक्त पड़े हुए हैं। हालांकि कुछ आयोगों में मुख्यमंत्री गहलोत ने सेवानिवृत्त न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों को नियुक्त किया है। इसके बावजूद भी प्रदेश में आधा दर्जन से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। इन आयोगों पर राजनीतिक लोगों की नियुक्ति की जानी है जिनके लिए अब कवायद तेज हो गई है।इनमें महिला आयोग, किसान आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, एससी-एसटी आयोग, ओबीसी आयोग और निशक्तजन आयोगों में राजनीतिक लोगों की नियुक्ति की जानी है ।
इसके अलावा समाज कल्याण बोर्ड, मदरसा बोर्ड, हज कमेटी अल्पसंख्यक वित्त निगम, वक्फ बोर्ड, देवस्थान बोर्ड, हाउसिंग बोर्ड,, गौसेवा आयोग, बीज निगम, राजस्थान पर्यटन विकास निगम, अभाव अभियोग निराकरण समिति, माटी कला बोर्ड, केशकला बोर्ड, घुमंतु अर्ध घुमंतु बोर्ड, वक्फ विकास परिषद, मेवात विकास बोर्ड, डांग विकास बोर्ड, खादी बोर्ड, बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, नगर विकास न्यास (यूआईटी), हिंदी ग्रंथ अकादमी, उर्दू अकादमी, सिंधी अकादमी आदि शामिल बताए जाते हैं। जिन विधायकों को मंत्री परिषद में स्थान नहीं मिल पायेगा उन्हें इनमें खपाया जायेगा।ऐसी भी संभावना बताई जा रही है।
*किन विधायकों के घरों में मनाई जायेंगी दिवाली ?*
ऐसे में यह चर्चा है कि राजस्थान के किन विधायकों के घरों में इस वर्ष धूमधाम के साथ दिवाली मनाई जायेंगी? दिवाली के आसपास मंत्रिपरिषद में फेरबदल को लेकर फिर से बाज़ार गर्म होने से यह क़यास लगायें जा रहें है।जानकार यह भी बता रहें है कि यदि कतिपय कारणों से मंत्रिपरिषद और संगठन में फेरबदल अभी नही हुआ तों गहलोत सरकार के सत्रह दिसंबर को पूरे होने वाले तीन वर्ष के कार्यकाल के अवसर को इस काम के लिए सबसे उपयुक्त समय बनाया जा सकता है।