केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के लोकसभा में गत दिनों दिए गए बयान से पता चला कि डीयू में केवल 58 एडहॉक टीचर हैं जबकि हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। शिक्षा जगत से जुड़े लगभग सभी लोग जानते हैं कि दिल्ली विश्विद्यालय में हज़ारों शिक्षक वर्षों से एडहॉक के रूप में काम कर रहे हैं और कई सालों से अपनी नौकरी पक्की किये जाने की मांग कर रहें हैं। वे कई बार शिक्षा मंत्रालय विश्विद्यालय अनुदान आयोग और कुलपति कार्यालय के सामने धरना दे चुके हैं तो फिर नए शिक्षा मंत्री ने यह बयान कैसे देदिया। वह मंत्रलाय के क्लर्क की गलती है या सरकार इस तथ्य को छिपाना चाहती है कि हजारों शिक्षक एडहॉक टीचर के रूप में काम कर रहें क्योंकि उसका इरादा इन टीचरों को नौकरी देना नहीं है।
दिल्ली विश्विद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीव रे ने आज प्रेस कांफ्रेस बुलाकर शिक्षा मंत्री को आड़े हाथों लिया और कहा कि जब दिल्ली विश्विद्यालय में करींब साढ़े 4 हज़ार एडहॉक टीचर हैं तब मंत्री जी ने यह कैसे बयान दे दिया कि केवल 58 एडहॉक टीचर हैं।
दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा में 26 जुलाई को यह सवाल भाजपा के जयपुर से सांसद रामचन्द्र बोहरा ने यह सवाल पूछा कि देश भर के केंद्रीय विश्विद्यालयों में कितने एडहॉक टीचर हैं और क्या इन्हें नियमित करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास है।
यह अतारांकित प्रश्न था। इन प्रश्नों पर पत्रकारों का भी कम ध्यान जाता है क्योंकि सारा ध्यान तारांकित प्रश्नों पर जाता है। मंत्री जी केवल तारांकित प्रश्नों का जवाब देते हैं।
26 जुलाई को श्री बोहरा ने 1035 प्रश्न संख्या में शिक्षा मंत्री से किये गए इस सवाल में सरकार ने बताया कि देश के कुल 45 विश्विद्यालयों में 74 ही एडहॉक टीचर हैं और इनमे से 58 केवल दिल्ली विश्विद्यालय में हैं।
मज़ेदार बात यह है कि सरकार की नज़र में2019 से 2021 में तीन सालों में एडहॉक टीचरों की संख्या 102 से घटकर76 और फिर 58 हो गयी जबकि हकीकत उलट है। पूरी दुनिया जानती है कि हजारों एडहॉक टीचरों के कारण ही दिल्ली विश्विद्यालय चल रहा है।
डूटा के अध्यक्ष राजीव रे ने इस सम्बंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इन 4500 एडहॉक शिक्षकों को एक मुश्त में स्थायी करने की मांग की है।
यह पहला अवसर नहीं है जब ऐसी मांग की जा रही है गत दस पन्द्रह साल से हर साल मांग उठती है।नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी निकलते हैं और विज्ञापन लेप्स हो जाते हैं।
एक तरफ सरकार नयी शिक्षा नीति के क्रियान्वन के एक साल पूरा होने पर जलसा मनाती है दूसरी इन एडहॉक टीचरों को नियमित नहीं करती क्योंकि सरकार का इरादा कॉन्ट्रैक्ट जॉब देने का है।वह अब आर्थिक बोझ नहीं उठाना चाहती है।
लोकसभा में एक अन्य प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह भी कहा है कि दिल्ली विश्विद्यालय में कुल 846 पद खालीं हैं।इनमे 170 प्रोफेसर 434 एसोसिएट और 242 सहायक प्रोफेसर के पद हैं। पर सवाल है ये पद भरेंगे कब?
इंडिया न्यूज स्ट्रीम