नई दिल्ली, अरविंद कुमार; जब देश मे बेरोजगारी चरम सीमा पर है और लोग कोरोना के कारण आर्थिक संकट में हैं, सरकार ने इस बार बजट में मनरेगा के बजट में 33% की कटौती की है जबकि खाद्यान्न सब्सिडी में 90000 करोड रुपये और खाद सब्सिडी में 50000 करोड़ रुपये की कटौती की है। इसके साथी पेट्रोलियम सब्सिडी में 6900 करोड़ की कटौती की है ।
मार्क्सवादी पार्टी की पोलित ब्यूरो ने आज यहां बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह बात कही है। उसने कहा है कि मोदी सरकार का यह बजट अंतर विरोधियों से भरा हुआ है और इसमें जनता का ध्यान नहीं रखा गया है बल्कि अमीरों को करो में अधिक छूट दी गई है जिसके कारण राजस्व में 35 हज़ार करोड़ रुपए की कमी आएगी।
पार्टी ने अपने बयान में कहा है कि कोविड के कारण देश में स्थिति बहुत भयानक हो गई थी लेकिन उसके बावजूद स्वास्थ्य पर जो पिछले साल बजटीय आवंटन किया गया था उसमें से 9255 करोड़ों रुपए खर्च ही नहीं किए गए। इसी तरह से शिक्षा में 4257 करोड़ पर खर्च नहीं किए गए।
बयान में यह भी कहा गया है कि आई सी डी इस स्कीम के लिए बजट में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
जेंडर बजट केवल 9 प्रतिशत है तो दलितों के लिए बजट केवल 3.5 प्रतिशत जबकि उनकी आबादी 16 प्रतिशत है।
इसी तरह आदिवासियों के लिए बजट मात्र 2.7प्रतिशत है जबकि उनकी आबादी8.6 प्रतिशत है।
पार्टी ने कहा है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करनेवाली थी लेकिन उसके नारे खोखले साबित हुए और सरकार ने पी एम किसान कल्याण फण्ड में 8 हज़ार की कटौती कर दी।
माकपा ने यह भी कहा है कि बजट में सरकार ने मध्यवर्ग के लिए आयकर में छूट की सीमा 500000 से बढ़ाकर 700000 जरूर कर दी है पर मौजूदा महंगाई और सामाजिक क्षेत्र के बजट में कटौती को देखते हुए एक छूट काफी नहीं है ।
पार्टी ने दवा तथा खाद्य क्षेत्र में जीएसटी को वापस लेने की भी मांग की है और कहां है कि माकपा 22 से 28 फरवरी तक सरकार की इस जन विरोधी रवैया के खिलाफ अखिल भारतीय स्तर पर धरना प्रदर्शन करेगी