इंदौर, 27 जुलाई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर की पहचान देश में सबसे साफ-सुथरे शहर के तौर पर है, अब इस शहर को भिखारी मुक्त बनाए जाने की योजना पर अमल शुरू हो गया है।
शहर के प्रमुख मार्गो पर ट्रेफिक सिग्नल, गांधी हाल, धर्म स्थलों के आस-पास, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन व अन्य स्थानों पर भिक्षावृत्ति करने वालों के कारण असुविधापूर्ण स्थिति निर्मित होती है, इससे से मुक्ति पाने के लिए नगर निगम द्वारा सामाजिक कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, एनजीओ संस्थानों के साथ मिलकर इंदौर शहर को भिक्षुकों से मुक्त करने की पहल की जा रही है।
नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने संबंधित अधिकारियों से कहा है कि शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया जाए। साथ ही भिक्षुक के पुनर्वास का भी इंतजाम करने के कहा है।
ज्ञात हो कि इंदौर के परदेसीपुरा में भिक्षुक पुनर्वास केंद्र है, मगर उसकी हालत ठीक नहीं है, बारिश का मौसम है और सुविधाघर भी अच्छी हालत में नहीं है। इसलिए अब इस केंद्र की भी मरम्मत कराई जाने वाली है। इस केंद्र में अभी तक सिर्फ पुरुषों के ही रखने की व्यवस्था है, यही कारण है कि अब इस केंद्र में महिला और पुरुषों के अलग-अलग रखे जाने की व्यवस्था की जाएगी।
सूत्रों की मानें तो इस शहर में चार हजार से ज्यादा भिखारी है, इनमें अपाहिज व बुजुर्ग बड़ी संख्या में है, जो भीख मांगकर अपनी आजीविका चलाते है। वहीं हर रोज बाहर से आकर भी मांगने वालों की संख्या अलग है। ये लोग खास दिनों और त्योहारों के मौके पर ही नजर आते है।
इस साल की शुरुआत में नगर निगम ने भिक्षुको से शहर को मुक्त कराने की कोशिश की थी, मगर नगर निगम के कर्मचारियों के तौर तरीके ने निगम और प्रशासन की खूब किरकिरी कराई थी, क्योंकि कड़ाके की सर्दी के दौरान भिखारियों को वाहनों में भरकर शहर के बाहर छोड़ दिया गया था। इस बार नगर निगम सतर्क नजर आ रहा है। यही कारण है कि शहर को भिखारी मुक्त करने के अभियान के गति देने से पहले भिखारियों के सुरक्षित स्थान पर रखने के साथ केंद्र की व्यवस्थाएं भी दुरुस्त कर रहा है।