नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में शनिवार को हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही, लेकिन सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत जारी किए गए कुल कोष का केवल 50 फीसदी ही संबंधित अधिकारियों द्वारा उपयोग किया गया है।
एनसीएपी, जिसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जनवरी 2019 में लॉन्च किया गया था, वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के लिए एक दीर्घकालिक, समयबद्ध, राष्ट्रीय स्तर की रणनीति है। एनसीएपी के तहत देशभर में 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर की सघनता में 20 से 30 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य को हासिल करने की परिकल्पना की गई है।
इस साल अगस्त में संसद में हाल ही में दिए गए एक जवाब के अनुसार, निगरानी नेटवर्क के विस्तार, गैर-मोटर चालित परिवहन अवसंरचना, हरित बफर, यांत्रिक स्ट्रीट स्वीपर का उपयोग, कंपोस्टिंग इकाइयां आदि जैसे कार्य शुरू करने के लिए एनसीएपी के तहत 472.06 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
सरकार के जवाब में कहा गया है कि जून 2022 तक संबंधित अधिकारियों द्वारा कुल 227.61 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है।
मंत्रालय के अनुसार, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए शहर की कार्य योजनाओं (सीएपी) के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए धन जारी किया जाता है। एनसीएपी के तहत 132 शहरों ने शहर की कार्ययोजना प्रस्तुत की है, जिसे मंजूरी मिल चुकी है। चयनित शहरों की नगर कार्य योजनाएं राज्य और शहर स्तरों पर राज्य सरकार और उसकी एजेंसियों की समन्वित कार्रवाई द्वारा क्रियान्वित की जानी हैं।
इन योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए धन भी केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन (शहरी), अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (एएमआरयूटी), स्मार्ट सिटी मिशन, सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्डस अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (एसएटीएटी), फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल-2 (एफएएमई) आदि से संसाधनों के अभिसरण के माध्यम से जुटाया जाना है।
एनसीएपी के तहत, केंद्रीय स्तर की संचालन समिति, निगरानी समिति और कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया और कार्यान्वयन प्रगति की आवधिक समीक्षा की जाती है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय संचालन समिति, प्रमुख सचिव, पर्यावरण विभाग की अध्यक्षता में निगरानी समिति, नगर आयुक्त या जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में शहर या जिलास्तरीय कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया जो समय-समय पर एनसीएपी के तहत कार्यो के कार्यान्वयन की प्रगति की स्थिति की समीक्षा करती है। दिल्ली और आसपास के शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण केंद्र और राज्यों सहित प्राधिकरण हरकत में आ गए हैं। कार्रवाई और पहल के बीच, पराली जलाने, दिवाली पर पटाखा फोड़ने और प्रतिकूल मौसम संबंधी कारकों को खराब वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला अधिकारियों को 48 घंटे के भीतर सभी रिपोर्ट की गई खेत में आग की घटनाओं का सत्यापन सुनिश्चित करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सलाह दी है।
अधिकारियों ने कहा कि आयोग पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में 15 सितंबर, 2022 से अब तक एक महीने के लिए धान अवशेष जलाने की घटनाओं की सक्रियता से निगरानी कर रहा है।
चालू वर्ष में अब तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में आग की संख्या में कमी देखी गई है। उपलब्ध मशीनरी के उपयोग, विशेष रूप से सभी हॉटस्पॉट गांवों में आईईसी गतिविधियों और किसान समुदायों के साथ बातचीत के संबंध में उठाए गए कदमों पर संबंधित अधिकारियों द्वारा खराब वायु गुणवत्ता के मुद्दे पर आयोजित समीक्षा बैठकों में चर्चा की गई है।
–आईएएनएस