गोपालगंज, 13 मार्च (आईएएनएस)| कहा जाता है कि अगर सकारात्मक सोच से किसी कार्य में लगा जाए तो न केवल स्वयं पर विश्वास पैदा होता है बल्कि सकारात्मक सोच से आपको हर विपरीत परिस्थितियों में भी आशा की किरणें दिखाई देती हैं और सफलता जरूर मिलती है।
ऐसा ही है ‘फिशमैन’ के नाम से चर्चित बिहार के गोपालगंज के सफागंज पंचायत के सनहा गांव के रहने वाले विनोद सिंह की कहानी। सिंह को प्रारंभ से ही सामाज और देश की सेवा करने का जुनून था। जब ये आर्मी में जवान नहीं बन सके तो इन्होंने हार नहीं मानी और किसान बनकर सामाज और राष्ट्र की सेवा में जुट गए।
विनोद सिंह की पहचान आज सफल उद्यमी के रूप में होती है। सिंह आज सब्जी और मछली पालन से प्रतिवर्ष 15 से 20 लाख रुपये न केवल कमाते हैं बल्कि अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रेरित करते हैं।
वैसे, यह सबकुछ करना इतना आसान नहीं था। सिंह आर्मी में जाने का सपना देखा था। इसके लिए कई बार कोशिशें भी की लेकिन प्रत्येक कोशिश में असफलता हाथ लगी, लेकिन वे निराश नहीं हुए। अपने जीवन में जय जवान, जय किसान को मूल मंत्र बनाने वाले सिंह ने कहा कि जय जवान तो नहीं हो सके, अब जय किसान होकर दिखाएंगे।
उन्होंने प्रारंभ 1995 में सब्जी की खेती की शुरूआत की, इसमें उन्हें सफलता तो मिली लेकिन बहुत मुनाफा नहीं दिखा। इसी दौरान उन्हें मछली पालन के क्षेत्र में दिलचस्पी पैदा हुई। वे कहते हैं कि बिहार में मछली की मांग की पूर्ति आंध्र प्रदेश से मछलियों से होती है। ऐसे में लगा कि बिहार में मछली पालन क्यों नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि किसान परिवार से आने की वजह से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। कुछ मित्रों के सहयोग से हौसला मिला और अपने सनहा गांव के पास चंवर (जहां पानी जमा होता है) वहीं मछली का दाना (बीज) डालकर व्यवसाय की शुरूआत की। इसके बाद इस कारोबार में फिर पीछे मुडकर नहीं देखना पडा।
आईएएनएस से उन्होंने कहा कि पहले अपनी ही जमीन पर तालाब खुदवाया और वहां मछली पालन की शुरूआत कर दी। मछली कारोबार में जब लाभ हुआ तो कुछ और जमीन लीज पर ले लिया। इसके बाद मछली पालन के कुछ तकनीकी पहलुओं को भी समझा। इसके लिए पटना में प्रशिक्षण प्राप्त किया और आंध्रप्रदेश जाकर भी वहां मछली पालन के तरीकों को जाना। वे कहते हैं कि वे अधिकतर पनास या प्यासी प्रजाति मछली पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह मछली पालन से 30 से 40 प्रतिशत लाभ कमाया जा सका है।
सिंह आज 30 एकड जमीन पर बने छोटे-बड़े तालाबों में मछली पालन करते हैं, जिसमें 15 एकड़ जमीन वे लीज पर लिए हुए हैं। उन्होंने कहा कि मछली पालन में पूंजी की बराबर कमी रहेगी।
उन्होंने बताया कि साल 2009 में मछली व्यवसाय की शुरूआत की थी, जिसमें 2002 से तेजी आ गई थी।
उन्होंने बताया कि वे आसपास के किसानों को भी मछली पालन के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने बताया कि पारंपरिक फसलों से बहुत ज्यादा लाभ आज किसानों को नहीं हो सकता। उनकी मछली आज पटना के अलावे झारखंड तक जाती है। उन्होंने मछली की मांग इतनी है कि पूरी नहीं की जा रही है।
वे बताते हैं कि गोपालगंज जिले के करीब 150 किसानों को वे मछली पालन के टिप्स देते हैं। उन्हें इसकी बारीकियों को सिखाते हैं। दूसरे जिलों से भी लोग जानकारी लेने के लिए उनके पास पहुंचते हैं।
मछली कारोबारी विनोद सिंह की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे वर्ष 2001 में मुखिया का चुनाव लड़े थे और मुखिया निर्वाचित भी हो गए। हालांकि बाद में सफापुर पंचायत सुरक्षित सीट हो गई। वैसे, उन्हें राजनीति में बहुत दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके जैसे लोग राजनीति में सफल नहीं हो सकते, यहां बहुत झूठ बोलना पड़ता है।
–आईएएनएस