नई दिल्ली। संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा में आगामी जूनमाह में रिक्त होने वाली चार सांसदों की सीटों के लिए होने वालेचुनावों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गांधी परिवार की प्रियंकागांधी को राजस्थान से राज्यसभा में बतौर सांसद निर्वाचितकराने का मौक़ा कभी नही खोने वाले है, क्योंकि ऐसा कर वे एकतीर से अपने कई राजनीतिक निशाने साधने में सफल होंगे।प्रदेश में सचिन पायलट गुट के नेताओं की राज्यसभा की खालीहोने वाली सीटों पर पैनी नज़र है और उन्होंने अभी से दवाबबनाने की राजनीति भी शुरु कर दी है।
इन चुनावों में राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस को अपने संख्याबल के आधार पर तीन सीटों पर बिना किसी मुश्किल के चुनावजीतने की उम्मीद है। एक सीट भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) केखाते में जायेंगी।हालाँकि तीसरी सीट पर भी रोमांचक मुक़ाबलादेखा जा सकता है क्योंकि इसमें निर्दलीय विधायकों,कांग्रेससमर्थित अन्य सदस्यों और पायलट गुट के विधायकों की अहमभूमिका रहने वाली हैं। देखना होगा कि राजनीति के जादूगर मानेजाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस अग्नि-परीक्षा में किसतरह सफल होकर निकलते है ?
राज्यसभा में हाल ही 1988 के बाद यानि 34 वर्षों के बाद किसीपार्टी को एक सौ सांसदों का आँकड़ा पार कर सबसे बड़ी पार्टीका तमगा पाने वाली भाजपा को आने वाले वक्त में राजस्थान सेतीन सीटों का नुक़सान होने वाला हैं।अगली चार जुलाई कोराजस्थान के चार राज्यसभा सांसद ओम प्रकाश माथुर,हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर,राम कुमार वर्मा और के.जे.एल्फोंस काराज्यसभा में छह वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। येंसभी सांसद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के सांसद हैं।
वर्तमान में राज्य विधानसभा की दौ सौ सीटों में से कांग्रेस केअपने 108 विधायक है जबकि प्रमुख विपक्षी दल भाजपा केपास 71 विधायक है ।कांग्रेस को 13 निर्दलीय विधायकों में सेअधिकांश विधायकों ,रालोद के 1 और भारतीय ट्राइबलपार्टी(बीटीपी) के 2 विधायकों का समर्थन भी बताया जाता है ।इसके अलावा सीपीआई (एम) के 2 और भाजपा से अलगहोकर नई पार्टी गठित करने वाले सांसद हनुमान बेनीवाल कीआरएलटीपी पार्टी के 3 विधायकों का रुख़ क्या रहेगा ? यहदेखना दिलचस्प होगा। राज्यसभा सांसद के निर्वाचन कीप्रकिया पेचीदगियों से भरपूर होती है और इसमें पहली औरदूसरी वरीयता के वोटों का ख़ासा महत्व रहता हैं।
अशोक गहलोत को राज्यसभा का चुनाव जिताने का बाज़ीगरमाना जाता है । गुजरात राज्यसभा चुनावों में वे अहमद पटेल कोकड़े संघर्ष में जीता कर लाने का करिश्मा कर चुके है।मरहूमअहमद पटेल के तब सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव होने सेवह चुनाव प्रतिष्ठा पूर्ण बन गया था।ख़ास कर तब जब गुजरातसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाहकी पूरी ताकत चुनाव में लगी थी।
राजस्थान में गांधी परिवार की मदद से तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेअशोक गहलोत प्रियंका गांधी को राजस्थान से राज्यसभा काचुनाव जीता कर संसद के ऊपरी सदन में भेज इस अहसान कोचुकाना चाहेंगे। प्रियंका गांधी का शुरू से राजस्थान से गहरालगाव रहा है और वे रणथम्भोर सहित प्रदेश के दौरों परलगातार आती रही है। हाल ही प्रशांत किशोर की कांग्रेस में हुईएंट्री और इस सिलसिले में कांग्रेसी नेताजी की सोनिया गांधीराहुल गांधी और प्रियंका गांधी से हुई मुलाक़ातों के क्रम मेंअशोक गहलोत और सचिन पायलट की भी नई दिल्ली में इनसेभेंट हुई है लेकिन पायलट ग्रूप द्वारा उसे अलग रंग देने से प्रदेशकी राजनीति में परस्पर बयानों का दौर चलने और प्रियंका गांधीका नाम राजस्थान से राज्यसभा चुनाव के लिए चलने से येंचुनाव और अधिक दिलचस्प हो गए हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत यह अवश्य चाहेंगे कि प्रियंका गांधीराजस्थान से ही चुन कर राज्य सभा में जायें हालाँकि पार्टी हाईकमान के पास छत्तीसगढ़ का विकल्प भी है। सभी जानते है किउत्तरप्रदेश विधान सभा के पिछलें चुनाव में छत्तीसगढ़ केमुख्यमंत्री प्रियंका गांधी के साथ चुनाव प्रचार में कंधे से कंधामिला कर चले थे। फिर भी गहलोत के गांधी परिवार केभरोसेमन्द होने से प्रियंका गांधी के राजस्थान से राज्य सभाचुनाव लड़ने की सम्भावनाएँ अधिक दिखाई देती है। इससे पहलेकांग्रेस हाई कमान के निर्देश पर अशोक गहलोत पूर्व प्रधानमंत्रीडॉ. मनमोहन सिंह और पार्टी के संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल को भी राजस्थान से निर्वाचित करा राज्य सभा में ले जाचुके है,वरना एक समय ऐसा था कि संसद के दोनों सदनों राज्यसभा के दस और लोकसभा की पच्चीस सीटों पर राजस्थान सेएक भी कांग्रेसी सांसद नही था। संसद में प्रदेश के इस सूखे कोदूर कर गहलोत ने राजस्थान से बाहर के अपने दो वरिष्ठ नेताओं डॉ. मनमोहन सिंह और वेणुगोपाल के साथ प्रदेश के युवा तुर्क नीरज डांगी को राज्यसभा चुनावों में निर्वाचित करा अपनेराजनीतिक कौशल का जलवा दिखाया। अब प्रदेश के तीन और कांग्रेसी सांसदों के विजयी होने पर राज्य सभा में प्रदेश के छह कांग्रेसी सांसद हो जाने की उम्मीद हैं। राज्यसभा के लिए कांग्रेस में और भी कई नामों की चर्चा शुरू हो गई है।