देश के प्रथम प्रधानमंत्री एवं महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर को आजादी के अमृत महोत्सव में शामिल न किए जाने पर उठे विवाद के बाद सरकार लीपापोती में जुट गई है, लेकिन इससे सरकार की काफी फजीहत हुई है।
गौरतलब है कि इन दिनों आज़ादी के अमृत महोत्सव का कार्यक्रम देश में मनाया जा रहा है और इसके तहत भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद में अपनी वेबसाइट के पहले पेज पर 8 महान स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर लगाई है लेकिन उसमें नेहरू जी की तस्वीर नहीं है बल्कि सावरकर की तस्वीर जरूर है जिन्होंने अंग्रेजों से माफी मांग ली थी और जो अंग्रेजों से पेंशन पाते रहे।
परिषद की इस करवाई से कल देशभर में काफी हंगामा मचा और कांग्रेस के नेताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि मोदी सरकार लगातार नेहरू जी के खिलाफ अभियान चला रही है और इतिहास से उन्हें मिटाने की कोशिश कर रही है।आज़ादी की लड़ाई में उनके योगदान की अनदेखी कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बर जय राम रमेश,शशि थरूर और गिरजा व्यास ने इसके लिए मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया।
चिदंबरम ने कहा कि अगर कोई कार मोटर का समारोह मना रहा तो वह उसके इतिहास से हेनरी फोर्ड का नाम कैसे मिटा सकता है। अगर कोई विमान का समारोह मना रहा तो उसके इतिहास से राइट बंधुओं का नाम कैसे मिटा सकता हैं और अगरकोई देश में विज्ञान पर समारोह का रहा हो तो सी वी रमन का नाम कैसे मिटा सकता हैं तो फिर आजादी के समारोह मनाते हुए उसके इतिहास से नेहरू जी का नाम कैसे हटा सकते हैं ? यह नेहरू जी के प्रति नफरत और पूर्वाग्रह के कारण हुआ है।इसलिए परिषद के सदस्य सचिव अपना मुंह बंद कर लें तो बेहतर है।
थरूर ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब नेहरू का अपमान किया जा रहा बल्कि यह तो सरकार की अब आदत हो गयी है।
नेहरू जी की तस्वीर हटाने की घटना की खबर जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसको लेकर बहस खड़ी हो गई तो काफी हंगामा हुआ ।तब परिषद ने सफाई देते हुए कहा कि मुख पृष्ठ पर केवल 8 लोगों की तस्वीर डाली गई है और नेहरू जी की भी तस्वीर वेबसाइट पर डाली जाएगी । हम उनकी अवमानना नहीं कर रहे हैं। हम आज़ादी के भूले बिसरे नायकों को इतिहास में स्थान देने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि नेहरू की तस्वीर पहले पर होगी या बाद के पेज में।
गौरतलब है कि जिन आठ नेताओं की तस्वीर डाली गई है उनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मदन मोहन मालवीय राजेन्द्र प्रसाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल अंबेडकर ,भगत सिंह और सावरकर की तस्वीर है लेकिन नेहरू जी की तस्वीर नहीं है जो देश के पहले प्रधानमंत्री थे और आजादी की लड़ाई में 9 साल तक जेल में रहे। सावरकर ने अंग्रेजों से कई बार माफी मांगी इसके बाद भी उनकी तस्वीर है पर नेहरू की नहीं। वेबसाइट में मौलाना अबुल कलाम आजाद की भी तस्वीर नहीं है।
मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है उसने नेहरू जी के खिलाफ निंदा अभियान शुरू किया है। जब अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री थे तब भाजपा ने नेहरू बनाम बाजपेई की भी बहस चलाई और यह कोशिश की वाजपेई का कद नेहरू से बड़ा था । पिछले दिनों मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार समाप्त कर दिया और उसकी जगह ध्यानचंद पुरस्कार शुरू किया जबकि ध्यानचंद के नाम पर पहले से ही एक राष्ट्रीय पुरस्कार है।मोदी सरकार की इस कार्रवाई की भी बड़ी तीखी निंदा हुई।
परिषद की स्थापना 1972 में हुई थी और इसके पहले अध्यक्ष आर एस शर्मा थे।