आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी भारत में बाल विवाह की कुप्रथा बदस्तूर जारी (अक्षय तृतीया पर विशेष)

नई दिल्ली।अपने बचपन में हर किसी ने कभी न कभी गुड्डे गुड़ियाओं का खेल खेला होगा लेकिन राजस्थान सहित भारत के कई प्रदेशों में हर वर्ष अक्षय तृतीया (अखातीज) और पीपल पूर्णिमा को यह खेल शहरों से सुदूर गाँवों तक हक़ीक़त में खेला जाता हैं। बाल विवाह की कुप्रथा को लेकर राजस्थान और देश के अन्य कई प्रदेश शुरू से ही ““““बदनाम रहें हैं। यहाँ तक कुछ दशकों पूर्व अजन्मे बच्चों की गर्भ में रहने के दरमियान ही शादियाँ तय हों जाया करती थी।

अखातीज को मांगलिक कार्यों विशेष कर शादी ब्याह के लिए अबूझ मुहर्त माना जाता है। कहा जाता हैकि ‘अनपूछो मुहर्त भलो के तेरस के तीज….’ क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में वैसे भी लड़कियों की संख्या लड़कों के मुक़ाबले राष्ट्रीय अनुपात से आज भी कम है। राजस्थान में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंगानुपात प्रत्येक 1000 पुरुषों पर 928 महिलायें है, जो कि राष्ट्रीय औसत 940 से नीचे है। वर्ष 2001 में, प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं का यह लिंग अनुपात 921 था।

सदियों से राजपूत शासकों के प्रभाव के कारण राजस्थान के कई इलाक़ों में लड़कों के मुक़ाबलें लड़कियों के जन्म का अनुपात लगभग शून्य सा ही था। कई स्थानों पर बेटी पैदा होते ही उसे जन्म के वक्त ही सदा सदा के लिए मौत की घुट्टी सुला दिया जाता था। इस कारण प्रदेश के कई ऐसे गाँव भी रहें,जहां सदियों तक कोई दूल्हा घोड़ी पर चढ़ अपनी दुल्हनिया को लिवा ले जाने बारात लेकर नहीं आया। लड़कों के मुक़ाबले लड़कियों की बहुत कम संख्या के कारण प्रदेश के कई हिस्सों में कई लड़के जीवन भर या तों कुँवारे ही रहते थे अथवा किसी एक लड़के की हाटा-दापा यानि एक दूसरे के भाई बहनों से शादी करानी पड़ती थी । राजस्थान के एक मुख्यमंत्री को भी ऐसा ही पड़ना करना पड़ा था और परिवार के उनके अन्य भाई जीवन पर्यन्त कुँवारें रहें थे ।

कालान्तर में शिक्षा के प्रसार,समाज सुधारकों और सरकारों के प्रयासों से इस स्थिति में काफ़ी सुधार हुआ है,फिर भी लाख प्रयासों के बावजूद आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी देश के विभिन्न भागों में बाल विवाह की कुप्रथा बदस्तूर जारी है जबकि आजादी के पहलें शारदा एक्ट और स्वतंत्रता के पश्चात बाल विवाह निषेध अधिनियम -2006 आदि क़ानून और सजा के प्रावधान बने और लड़के-लड़कियों की आयु में भी समय-समय पर बदलाव होते रहें।

बाल विवाह केवल भारत मैं ही नहीं अपितु सदियों से सम्पूर्ण विश्व में होते आए हैं और समूचे विश्व में बालविवाह के मामले में भारत दूसरा स्थान पर हैं। सम्पूर्ण भारत मैं विश्व के 20 प्रतिशत बाल विवाह होते हैं और समूचे भारत में 49 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पूर्व ही हो जाता हैं। भारत में, सबसे अधिक साक्षरता वाले राज्य केरल में अब भी बाल विवाह का प्रचलन है। यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपात निधि) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में नगरीय क्षेत्रों से अधिक बाल विवाह होते है।अधिकृत आँकड़ो के अनुसार, बिहार में सबसे अधिक 68 प्रतिशत बाल विवाह की घटनाएं होती है जबकि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम 9 प्रतिशत बाल विवाह होते है।

बताया जाता है कि यह प्रथा भारत में आदिकाल से प्रचलित नही थी। कालान्तर में लड़कियों को विदेशी शासकों से बलात्कार और अपहरण से बचाने के लिये बाल विवाह को एक हथियार के रूप में प्रयोग किया गया। बाल विवाह का एक और कारण बड़े बुजुर्गों को अपने पौतो को देखने की चाह भी थी जिसके कारण वे कम आयु में ही बच्चों की शादी कर देते थे जिससे कि मरने से पहले वें अपने पौत्रों के साथ कुछ समय बिता सकें। साथ ही इनके दूधो नहाओ पूतो फलो के आशीर्वाद ने देश की जनसंख्या को अनियंत्रित किया।

बालविवाह के केवल दुष्परिणाम ही होते हैं जिसमें सबसे घातक शिशु एवं माता की मृत्यु दर में वृद्धि और उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास पूर्ण नहीं हो पाना प्रमुख हैं। साथ ही इनसे एच.आई.वी. जैसे यौन संक्रमित रोग होने का खतरा भी हमेशा बना रहता हैं। यदि भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा मातृ मृत्यु पर जारी हालिया बुलेटिन को देखें तो देश में अभी मातृ मृत्यु अनुपात 103 पर है। इसका मतलब है कि देश में हर लाख जीवित जन्में बच्चों पर दुर्भाग्यवश 103 माओं की मृत्यु उन्हें जन्म देते समय हो जाती है। राजस्थान में मातृ मृत्यु का अनुपात 141 हैं जोकि राष्ट्रीय औसत से अधिक है।हालाँकि शिशु मृत्यु दर में प्रदेश ने काफी सुधार कर लिया है।

भारत में बालविवाह होने के अन्य कई कारण हैं जिनमें लड़की की शादी को माता-पिता द्वारा अपने ऊपर एक बोझ समझना,शिक्षा का अभाव, रूढ़िवादिता, अन्धविश्वास, गरीबी आदि प्रमुख हैं। बाल विवाह को रोकने के लिए इतिहास में कई लोग आगे आये जिनमें सबसे प्रमुख राजाराम मोहन राय और केशबचन्द्र सेन आदि ने ब्रिटिश सरकार से एक बिल पास करवाया जिसके अंतर्गत शादी के लिए लड़कों की उम्र 18 वर्ष एवं लडकियों की उम्र 14 वर्ष निर्धारित की गयी। फिर भी सुधार नही आने पर एक और बिल पास किया गया।भारत में कानूनन विवाह करने की न्यूनतम आयु लड़के के लिए 21 वर्ष एवं लड़की के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है।

भारत में सरकार द्वारा समय-समय पर बाल विवाह रोकने के लिए कई प्रयत्न किये गए और कई क़ानून भी बनाये गए हैं । बाल विवाह कराने पर दो साल तक का कारावास और एक लाख रुपए तक का जुर्माना का प्रावधान रखा गया। साथ ही बाल विवाह में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भी दोषी माना गया है। जिससे कुछ हद तक इसमें सुधार आया परन्तु यह कुप्रथा आज भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुई है और कड़े क़ानूनों एवं बाल विवाह की प्रथा के खिलाफ चले अनेक सामाजिक आंदोलनों के बावजूद भारत में बाल विवाह जारी है।

यूनिसेफ की 2017 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की तीन में से एक बाल वधू भारत में रहती है।भारत में हर चार युवा महिलाओं में से एक की शादी उनके 18 वें जन्मदिन से पहले ही हों जाती हैं।हालाँकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत में बाल विवाह की प्रथा आज पिछलें युगों की तुलना में काफ़ी कम हुई है और इस मामले में भारत की प्रगति दक्षिण एशिया के अन्य देशों की तुलना में बेहतर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आधे से अधिक बाल वधूएं पांच राज्यों यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश में 36 मिलियन बाल वधूओं की सबसे बड़ी आबादी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान में बाल विवाह का प्रचलन अधिक पाया गया, जिसमें कहा गया है कि राज्य में 36 प्रतिशत महिलाएं जिनकी उम्र 20 से 24 साल के बीच थी, उनकी शादी 18 साल की उम्र से पहले ही हो गई थी।

देश में सबसे अधिक बाल विवाह राजस्थान के 16 जिलों दौसा,जोधपुर,भीलवाड़ा, चुरू, झालावाड़, टोंक, उदयपुर, करौली, अजमेर, बूंदी, चितौडगढ़, मीरा बाई की जन्म स्थली मेड़ता-नागौर, पाली, सवाईमाधोपुर,अलवर एवं बारां में हर वर्ष अक्षय तिथियाँ (अखातीज) और पीपल पूर्णिमा के अवसर पर कहीं छुप कर तों कहीं सरे आम बाल विवाह के आयोजन किए जाते हैं।

इधर यूनिसेफ ने बाल विवाह को लेकर और भी चौंकाने वाले आंकड़े दिए है जिसमें कहा गया है कि देश में राजस्थान,बिहार,मध्य प्रदेश,उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे ख़राब स्थिति है। यूनिसेफ के अनुसार राजस्थान में 82 प्रतिशत विवाह 18 साल से पहले ही हो जाते है। वहीं 22 फीसदी बच्चियां 18 वर्ष की उम्र से पहले ही मां बन जाती है।

आज के युग में यह सोच कर बड़ा अजीब लगता हैं कि जब भारत अपनी आजादी की स्वर्ण जयन्ती पर अमृत महोत्सव मना रहा है और जो पूरे विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा हैं उसमें आज भी बाल विवाह की कुरीति जिन्दा हैं। एक ऐसी कुरीति जिसमें दो अपरिपक्व लोगों को जो कि आपस में बिलकुल अनजान हैं, उन्हें जबरन ज़िन्दगी भर साथ रहने के लिए एक बंधन में बांध दिया जाता हैं। हालाँकि बाल विवाह का प्रचलन निम्न जातियों एवं मुस्लिम धर्मावलम्बियों में अधिक है।प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया या पीपल पूर्णिमा पर सैकड़ों-हजारों बच्चें इस सामाजिक बुराई का शिकार होते है और विवाह बंधन में बाँध दिए जाते है।बाल विवाह मानवाधिकारों का भी प्रत्यक्ष उल्लघन है। बचपन के दिन बालक और बालिका के खेलने एवं पढ़ने के दिन होते है।यही वह समय होता है जब उसका शारीरिक तथा मानसिक विकास धीरे-धीरे अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर होता है।ऐसी कच्ची उम्रः में बच्चों के विवाह होने, वैवाहिक जीवन के बारे में बिलकुल भी समझ नही होने से न सिर्फ उन बालक बालिकओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है, बल्कि बड़े होने पर उनमें कई बार पसंद के जीवन साथी मिल जाने पर उनसे विवाह करने की इच्छा जाग्रत होने से पहलें ब्याही पत्नी को दुर्दिन देखने पड़ते है।और उनके बच्चों का भविष्य भी निरापद नहीं रह पाता।फलस्वरूप विवाहित जीवन साथी को अत्यधिक मानसिक संताप सहन करना पड़ता है।

पुरुष प्रधान समाज के लड़कियों को अपने पिता के घर से पति के घर जाना होता है।कई माता-पिता लड़की को औपचारिक शिक्षा दिलाने में भी अरुचि रखते है और वे बालिकाओं का कम उम्रः में ही विवाह कर देना शुभ समझते है, ताकि वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएँ।
ऐसे बालक पूरी ज़िन्दगी भर इस कुरीति से उनके ऊपर हुए अत्याचार से उभर नहीं पाते हैं और बाद में खराब होते हालातों में नतीजे तलाक और मृत्यु तक पहुच जाते हैं।

*राजस्थान में बाल विवाह में पिछले पांच वर्षों में आई 10 प्रतिशत से अधिक गिरावट*

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5 )2020-21 ने खुलासा किया है कि राजस्थान में 2015-16 की तुलना में 20 से 24 साल के बीच की बालिकाओं का प्रतिशत, जिनकी शादी 18 साल की उम्र से पहले हुई थी, घटकर 25.4 प्रतिशत हो गई हैं जो कि राष्ट्रीय एनएफएचएस -4 की तुलना में 10 प्रतिशत की कमी है। यह कमी 25 से 29 साल के बीच के पुरुषों में भी देखी गई, जिनकी शादी 21 साल की उम्र से पहले हो गई थी और 2020-21 में इस श्रेणी में 28.2 प्रतिशत पुरुष थे , जबकि 2015-16 में यह प्रतिशत 35.7 था।

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह अभी भी अधिक है, जिसमें 28.3 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है, जबकि उनके शहरी समकक्षों के मामले में यह 15.1 प्रतिशत है।

एनएफएचएस-5 के अनुसार, 28.2% लड़कों की शादी कानूनी उम्र से पहले कर दी गई थी, जबकि 25.4 प्रतिशत लड़कियों की शादी कानूनी उम्र से पहले हो गई थी। राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कों के लिए कम उम्र में शादी 2015-16 में 44.7 प्रतिशत से घटकर 2020-21 में 33.2 प्रतिशत हो गई है। कोविड-19 की विषम परिस्थितितियों और लॉकडाउन लागू होने के कारण, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एनएफएचएस-5 फील्डवर्क दो भागों में किया गया था।

*राजस्थान सरकार को वापस लेना पड़ा विवादास्पद कानून*

इस मध्य विधानसभा में विपक्ष के कड़े विरोध के राजस्थान सरकार को अपने एक विवादास्पद कानून विवाह संशोधन विधेयक, 2021 को वापस लेना पड़ा है जिसमें नाबालिगों सहित सभी विवाहों को पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया था। हालांकि, राजस्थान सरकार ने कहा है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को प्रभावी बनाने के लिए संशोधन लाया था जिसमें विवाह के अनिवार्य पंजीकरण का आह्वान किया गया ।

*बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं*

भारत में बाल विवाह के विरोध में आज भी सरकारी और सामाजिक दोनों मोर्चों पर अथक प्रयास जारी हैं । आज बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओं जैसे नारें जन आन्दोलन में तब्दील हों रहें हैं। यदि यें प्रयास सही अर्थों में धरातल पर उतरने में शत प्रतिशत सफल हो जाए तो वह दिन दूर नही जब हमारा देश भारत बाल विवाह की बुराई और कलंक से मुक्त हो जायेगा।
——

भीषण गर्मी के चलते दोगुने हुए सब्जियों के दाम

फरीदाबाद । पूरे उत्तर भारत में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। लोगों का हाल बेहाल है, ऐसे में अब लोग सब्जियों के बढ़ते दामों से परेशान हैं। भीषण...

नीट विवाद पर धर्मेंद्र प्रधान का बड़ा बयान – ‘बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा’

नई दिल्ली । नीट यूजी 2024 के परीक्षा परिणामों को लेकर जारी सियासत के बीच एक बार फिर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बयान दिया है। उन्होंने परीक्षार्थियों को...

2024 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत ही रहेगा सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था : मूडीज

नई दिल्ली । भारत 2024 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज की ओर से ताजा रिपोर्ट में ये दावा किया...

रतलाम में मंदिर में फेंका गोवंश का कटा सिर, आरोपियों के घरों पर चला बुलडोजर

रतलाम । मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के एक मंदिर में शरारती लोगों ने गोवंश का कटा हुआ सिर फेंक दिया। इस मामले में पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है।...

सुप्रीम कोर्ट ने अन्नू कपूर की फिल्म ‘हमारे बारह’ की रिलीज पर लगाई रोक

नई दिल्ली । अन्नू कपूर स्टारर फिल्म 'हमारे बारह' विवादों में घिरी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिल्म 'हमारे बारह' की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी है। यह रोक...

नीट में ‘पैसे दो, पेपर लो’ का खेल हुआ है : कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे

नई दिल्ली । कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि नीट में भ्रष्टाचार और धांधली की गई है। नीट में 'पैसे दो, पेपर लो' का गलत खेल...

मुख्यमंत्री नायडू शिक्षकों की मेगा भर्ती के लिए आज पहली फाइल पर करेंगे हस्ताक्षर

अमरावती । आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 12 जून को पदभार ग्रहण करने के बाद नारा चंद्रबाबू नायडू राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती के लिए...

पीएम मोदी के लिए अच्छा मौका है, इस्तीफा देकर देश में एक साथ करा लें चुनाव : संजय सिंह

नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव', एनडीए के घटक दलों के मंत्रालय बंटवारे और जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी घटना...

पीएलआई स्कीम से आ सकता है 4 लाख करोड़ रुपये तक का निवेश, पैदा होंगी 2 लाख नौकरियां

नई दिल्ली । प्रोडक्शन-लिंक्ड इनिशिएटिव (पीएलआई) स्कीम के जरिए आने वाले कुछ वर्षों में भारत में 3 से 4 लाख करोड़ रुपये तक का निवेश आ सकता है। बता दें,...

आम आदमी पार्टी बताये, टैंकर माफिया से उसका क्या रिश्ता है : शहजाद पूनावाला

नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को फटकार मिलने के बाद भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने राज्य...

चंद्रबाबू नायडू ने की भाजपा की तारीफ, एक साधारण कार्यकर्ता के सांसद बनने की सुनाई कहानी

विजयवाड़ा । तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्हें राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर ने पद और गोपनीयता...

कर्नाटक : कन्नड़ सुपरस्टार दर्शन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

बेंगलुरु । रेणुकास्वामी हत्या मामले में बुधवार को विभिन्न संगठनों ने कन्नड़ सुपरस्टार दर्शन के खिलाफ बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही इस नृशंस हत्या के लिए उन्हें आजीवन...

editors

Read Previous

गंगोत्री, यमुनोत्री के कपाट खुले, सीएम धामी ने की पीएम मोदी के नाम से पहली पूजा

Read Next

धर्मेद्र ने तबीयत ठीक होने के बाद शेयर की ‘सबसे खूबसूरत याद’

Leave a Reply

Your email address will not be published.

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com