भारत छोड़ो आंदोलन की प्रदर्शनी में गुप्त दस्तावेजों को जारी कर आजादी के संघर्षों को बताया

नई दिल्ली: संस्कृति मंत्रालय की ओर से ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 79वीं वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रीय अभिलेखागार में लगाई गई प्रदर्शनी में कई गुप्त दस्तावेजों के जरिए स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष को दशार्ने की कोशिश की गई है। यह प्रदर्शनी, नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत लगाई गई है। यह प्रदर्शनी 8 नवंबर, 2021 को सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक जनता के लिए खुली है। प्रदर्शनी भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान की घटनाओं के चित्र, आधिकारिक दस्तावेज, एलईडी मानचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करती है। प्रदर्शनी उस समय के गुप्त दस्तावेजों को प्रदर्शित करते हुए कुछ अज्ञात और रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालती है। क्रिप्स मिशन पर मुस्लिम लीग की स्थिति को दशार्ने वाला ब्रिटिश भारत का इंटेलिजेंस ब्यूरो दस्तावेज भी प्रदर्शनी में शामिल किया गया है।

आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ पर इस प्रदर्शनी को राष्ट्रीय अभिलेखागार में लगाया गया है। इस प्रदर्शनी में सार्वजनिक अभिलेखों, निजी पत्रों, मानचित्रों, तस्वीरों और अन्य प्रासंगिक सामग्री के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारत छोड़ो आंदोलन के महत्व को दर्शाने का प्रयास किया गया है।

भारत छोड़ो आंदोलन की प्रमुख परिस्थितियों को प्रदर्शनी में दिखाय गया है। मसनल, अंग्रेजों ने भारतीय नेताओं की सहमति के बिना 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी की घोषणा की, जिसके कारण ब्रिटिश भारत के प्रांतों के मंत्रालयों ने इस्तीफा दे दिया। इसी तरह क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद की स्थिति को प्रदर्शनी में सही तरीके से दशार्या गया है। क्रिप्स मिशन की विफलता ही भारत छोड़ो आंदोलन का तात्कालिक कारण बनी। गांधी जी ने मिशन को पोस्ट डेटेड चेक बताया। 22 अप्रैल, 1942 को एक पत्र के माध्यम से क्रिप्स मिशन पर श्री महादेव देसाई की राय को प्रदर्शनी में दर्शाया गया है।

प्रदर्शनी में कई कविताएं भी दिखती हैं। प्रदर्शित कविताएं साहित्य प्रेमियों के लिए प्रमुख आकर्षण हैं। कविता ‘क्या चाहते हैं’ शीर्षक से भारतीयों की ब्रिटिश गुलामी से मुक्त होने की आकांक्षाओं पर प्रकाश डालती है। महात्मा गांधी ने करो या मरो का आह्वान किया था। प्रदर्शनी में दर्शाए गए दस्तावेज दर्शकों को नेताओं के बलिदानों के प्रति श्रद्धा भाव से भर देते हैं। करो या मरो के आह्वान ने भारत छोड़ो आंदोलन का शुभारंभ किया और अगले दिन महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रदर्शनी आंदोलन के दौरान समाचार पत्रों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालती है।

कई महत्वपूर्ण नेताओं की गिरफ्तारी के कारण ऊषा मेहता और राम मनोहर लोहिया द्वारा गुप्त और भूमिगत रेडियो स्टेशन की शुरूआत हुई। प्रदर्शनी इस कथन को सही तरीके से दर्शाती है कि क्रांति को कारावास में कैद नहीं किया जा सकता।

–आईएएनएस

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