राजनीतिक दलों के जिहाद शब्द के गलत इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई जाए – अल्प संख्यक समन्वय समिति
नई दिल्ली , 10 जनवरी । गुजरात अल्पसंख्यकसमन्वय समिति ने चुनाव आयोग से भारतीय जनतापार्टी के घोषणापत्र में लव जिहाद शब्द पर रोक लगाने की मांग की है। समिति के संयोजक मुजाहिद नफीस ने आयोग को लिखे पत्र में यह मांग की है।
पत्र में श्री नफ़ीस ने कहा है “भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दिनांक- 8-2-22 को उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए घोषणापत्र में की ओर दिलाना चाहता हूँ, इस घोषणापत्र के पृष्ठ 8 पर सुशासन के कालम में लिखा है कि “हम लव जिहाद करने पर 10 वर्षों की सजा और 1 लाख जुर्माने का प्रबंध सुनिश्चित करेंगे।”
उन्होंने कहा कि देश के किसी भी राज्य के किसी क़ानून में लव जिहाद नामक शब्द, अपराध अंकित नहीं है, इस शब्द का प्रयोग सत्ताधारी राजनीतिक दल के नेताओं द्वारा सांप्रदायिक धुर्वीकरण के लिए किया जाता रहा है, इस्लाम में “जिहाद” शब्द एक बहुत ही पवित्र शब्द है और इसका अर्थ है “संघर्ष”, आप किसी उर्दू, अरबी के जानकार से जिहाद शब्द का अर्थ पूछेंगे तो आप इसका महत्व जान पाएंगे, इस्लाम में संघर्ष किसी भी गलत काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
भाजपा द्वारा जिहाद जैसे पवित्र शब्द का गलत इस्तेमाल राजनीतिक साजिश का भाग प्रतीत होता है, इस तरह के झूठ को बार बार कहकर दो धर्मों के बीच शांति और विश्वास को तोड़ने की साजिश प्रतीत होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 ए (एफ) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह “धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीय या सांप्रदायिक मतभेदों की परवाह किए बिना भारत के सभी लोगों के बीच सद्भाव और भाईचारे का निर्माण करें। ”
श्री नफीस नेपत्र में आरोप लगाया है कि सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी भी संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करे तो कृत्य अत्यंत गंभीर बन जाता है।
पत्र में कहा गया है कि इस घोषणापत्र में जिहाद शब्द के दुरूपयोग से हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
इसलिए जिहाद शब्द का दुरुपयोग रोकने के लिए भाजपा के चुनावी घोषणापत्र से इस शब्द को निकालने व पुनः संशोधित कर जारी करने तथा भविष्य में जिहाद शब्द के दुरुपयोग को न करने का अविलम्ब आदेश जारी किया जाए ताकि देश के नागरिक सौहार्द के साथ रह सकें, चुनाव में धार्मिक धुर्वीकरण को रोका जा सके और चुनाव निष्पक्ष हो सके।