दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहेजब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों–बशीर बद्र Share Related News प्यार किया है कि सौदा कोई ! तुझे पाया है सबकुछ खोने के बाद !! -- शम्स परवेज़ हाँ याद मुझे तुम कर लेना आवाज़ मुझे तुम दे लेनाइस राह-ए-मोहब्बत में कोई दरपेश जो मुश्किल आ जाए --बहज़ाद लखनवी हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिलके बहलाने को “ग़ालिब” यह ख्याल अच्छा है ---मिर्ज़ा ग़ालिब देखो ये मेरे ख़्वाब थे देखो ये मेरे ज़ख़्म हैंमैं ने तो सब हिसाब-ए-जाँ बर-सर-ए-आम रख दिया --अहमद फ़राज़ दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है --फैज़ अहमद फ़ैज़