चेन्नई, 31 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय महिलाओं के कुछ वर्षों में पुरुषों से आगे निकलने की उम्मीद है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में इसकी जानकारी दी गई है। सोमवार को संसद में पेश किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, ‘सैंपल रजिस्ट्रेशन आधारित सिस्टम (एसआरएस) आधारित ‘संक्षिप्त जीवन सारणी 2014-18’ पर रिपोर्ट विभिन्न आयु समूहों में औसत दीर्घायु का अनुमान प्रदान करती है और भारत के लिए जन्म के समय जीवन की अपेक्षा का अनुमान प्रदान करती है जो 2014-18 के लिए उपलब्ध हैं।
पुरुषों (68.2 वर्ष) की तुलना में महिलाओं के अधिक समय (70.7 वर्ष) जीने की उम्मीद है।
साल 2014-18 में साल 2013-17 की तुलना में, बिहार और झारखंड को छोड़कर, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अधिकांश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं के लंबे समय तक जीवित रहने की उम्मीद है।
भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 2014-18 की अवधि के लिए 69.4 वर्ष थी, जो 2013-17 से 0.4 वर्ष अधिक है।
छत्तीसगढ़ में सबसे कम 65.2 साल से लेकर केरल और दिल्ली में सबसे ज्यादा 75.3 साल तक यह राज्यों में व्यापक रूप से भिन्न होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों (68.0 वर्ष) की तुलना में शहरी क्षेत्रों (72.6 वर्ष) में जीवन प्रत्याशा अधिक है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2013-17 की वृद्धि शहरी क्षेत्रों (0.2 वर्ष) में वृद्धि की तुलना में ग्रामीण (0.3 वर्ष) के लिए अधिक है।
ग्रामीण और शहरी जीवन प्रत्याशा के बीच का अंतर भी 1970-75 से 2014-18 तक काफी कम हो गया है।
देश में बढ़ती जीवन प्रत्याशा को देखते हुए, यह सवाल सामने आता है कि जीवन बीमाकर्ताओं के लिए अपनी प्रीमियम दरों में वृद्धि का औचित्य क्या है।
–आईएएनएस