नई दिल्ली । जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक बार फिर उच्चतम न्यायालय की सख्त टिप्पणी के घेरे में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की कार्यप्रणाली और उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
कोर्ट ने कहा कि ईडी राजनीतिक हथियार बनती जा रही है और इसका इस्तेमाल विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। इस टिप्पणी के बाद आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए बड़ा झटका है। कोर्ट की टिप्पणी से यह साफ हो गया है कि ईडी का इस्तेमाल बदले की भावना से किया जा रहा है।
आतिशी ने कहा कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को ‘पिंजरे में बंद तोता’ बताया था और अब एक बार फिर से कोर्ट ने इन एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां विपक्षी नेताओं को बेवजह परेशान कर रही हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी के कई नेता, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के विपक्षी दलों के नेता शामिल हैं।
आप नेता ने कहा, “ईडी का मकसद है कि विपक्षी नेताओं पर पीएमएलए लगाकर उन्हें जेल में डाला जाए, बिना किसी ठोस सबूत के।”
उन्होंने दिल्ली के कथित शराब घोटाले का ज़िक्र करते हुए कहा कि ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार तो किया, लेकिन आज तक एक भी पैसा बरामद नहीं कर पाई, और सभी नेताओं को अदालत से ज़मानत मिल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कर्नाटक के एक मंत्री की पत्नी को भेजे गए ईडी समन पर भी सवाल उठाया। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जब सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली थी, तब भी अदालत ने टिप्पणी की थी कि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक दुर्भावना के तहत की गई थी।
आतिशी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार यह स्पष्ट कर रहा है कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग राजनीतिक हित साधने के लिए हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं पर मुकदमे तेज़ कर दिए जाते हैं और चुनाव खत्म होते ही मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
—आईएएनएस