इस्लामाबाद । कतर में हुए युद्धविराम समझौते का स्वागत करते हुए, पाकिस्तानी उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने रविवार को ‘अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे आतंकवाद के खतरे से निपटने’ के उद्देश्य से ‘निगरानी तंत्र’ की आवश्यकता पर बल दिया।
दूसरी ओर, मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले तुर्किये ने कहा कि वह “दोनों भाइयों (पाकिस्तान और अफगानिस्तान) और इस क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता प्राप्त करने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा।”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की गई एक पोस्ट में, डार, जो पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी हैं, ने दोहा समझौते का स्वागत करते हुए इसे “सही दिशा की ओर बढ़ा पहला कदम” बताया।
इस प्रक्रिया में “कतर और तुर्किये की निभाई गई रचनात्मक भूमिका” की सराहना करते हुए, उप-प्रधानमंत्री ने फिर से अफगानिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि तुर्किये द्वारा आयोजित अगली बैठक में, अफगान धरती से पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए एक ठोस निगरानी तंत्र की स्थापना पर बल दिया जाएगा।”
साथ ही, उन्होंने एक शांतिपूर्ण क्षेत्र की बात की। “यह जरूरी है कि आगे और जान-माल की हानि को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।” इसमें आगे कहा गया, “हम कतर के प्रयासों की सराहना करते हैं, जिसने इस वार्ता की मेजबानी भी की।”
वहीं, रविवार को, तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम इस बात का स्वागत करते हैं कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने तुर्की और कतर की मध्यस्थता में युद्धविराम पर सहमति जताई और दोहा में हुई वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता को मजबूत करने के लिए तंत्र स्थापित करने का फैसला किया।”
पिछले महीने, डार ने अफगानिस्तान से सक्रिय विभिन्न आतंकवादी समूहों को लेकर चेतावनी दी थी कि ये समूह “क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा” हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर, डार ने अफगानिस्तान पर ओआईसी संपर्क समूह को बताया, “पाकिस्तान अफगानिस्तान में दो दर्जन से ज्यादा आतंकवादी समूहों, खासकर टीटीपी, बीएलए, मजीद ब्रिगेड और ईटीआईएम, की मौजूदगी को लेकर चिंतित है।”
उन्होंने आगे कहा कि ये समूह “अल-कायदा के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं और क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं।”
–आईएएनएस