बीजिंग : भारत की पंद्रहवीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शपथ ग्रहण के अवसर पर दुनियाभर के राजनेताओं से बधाई और शुभकामना संदेश मिलना कूटनीतिक शिष्टाचार है। जिस वनवासी समुदाय को दुनिया के कई देशों में अब भी अपनी पहचान और जातीय अधिकारों के लिए जूझना पड़ रहा है, उसी समुदाय की महिला को सर्वोच्च पद पर पहुंचाकर भारत ने ना सिर्फ अपनी मजबूत लोकतांत्रिक परंपरा को प्रदर्शित किया है, बल्कि दुनिया को बड़ा संदेश दिया है। इस अवसर पर दुनिया भर के महत्वपूर्ण राजनेताओं का शुभकामना संदेश आना स्वाभाविक है। लेकिन इनमें विशेष है चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का संदेश। यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि भारत और चीन एक- दूसरे के पड़ोसी हैं। यह छिपी हुई बात भी नहीं है कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एक्च ुअल कंट्रोल लाइन पर सीमाओं को लेकर खींचतान जारी है। ऐसे मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भारतीय समकक्ष को खत लिखकर दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते बेहतर करने पर जोर दिया है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने संदेश में भारत और चीन के बीच जारी तनाव और मतभेदों को सुलझाने के अलावा द्विपक्षीय संबंधों को सही रास्ते पर आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। राष्ट्रपति जिनपिंग ने लिखा है, ‘चीन-भारत दोनों ही महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं। ऐसे में इनके बीच स्थिर संबंध आपसी हितों के लिए जरूरी हैं।’
अपने पत्र में राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा है कि वे भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ मिलकर काम करने में इच्छुक हैं, जिससे आपसी राजनीतिक विश्वास को बढ़ाने के साथ ही आपसी सहयोग को और मजबूत किया जा सके। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह भी कहा है कि वे चीन-भारत संबंधों को विशेष महत्व देते हैं, और आपसी राजनीतिक विश्वास बढ़ाने, व्यावहारिक सहयोग को गहरा करने, मतभेदों को ठीक से सुलझाने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।
चीनी राष्ट्रपति के इस पत्र और शुभकामना संदेश को लेकर भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। चूंकि ऐसे मौकों पर आए संदेशों को लेकर कोई प्रतिक्रिया देने का कोई कूटनीतिक रिवाज भी नहीं है। लेकिन भारत और चीन के बीच हाल के बरसों में बढ़े तनाव को लेकर भारत का एक वर्ग इस संदर्भ में जहां संजीदगी दिखाने से बच रहा है, वहीं एक वर्ग को उम्मीद है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। भारत के एक वर्ग को उम्मीद है कि चीनी राष्ट्रपति के बयान का संदेश स्पष्ट है कि सब कुछ बदला जा सकता है,लेकिन पड़ोसी नहीं। इसलिए दोनों देशों को आपसी संबंधों को सुलझाने के लिए आगे बढ़ना होगा और द्विपक्षीय मसलों को संजीदगी से संभालना होगा। तभी आर्थिक मोर्चे पर भी दोनों देश मजबूती से आगे बढ़ सकेंगे और अपनी विशाल जनसंख्या को जीवन की मूलभूत जरूरतों के साथ ही बेहतर जीवन स्तर पर मुहैया करा पाएंगे।
–आईएएनएस