नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली ने पिछले कुछ सालों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इतनी उपलब्धियां हासिल की हैं कि उसके पास आज सफलता की 50,000 से अधिक कहानियां हैं। आईआईटी के निदेशक रंगन बनर्जी ने कल यहां संस्था की हीरक जयंती समापन समारोह में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि 1961 में आईआईटी की स्थापना हुई थी और तत्कालीन राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने पहला दीक्षांत समारोह सम्बोधित किया था और 1975 में पहला प्रमुख उपकरण इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप बनाया गया था लेकिन अब आईटी ने हाल के वर्षों में इतनी प्रगति की है कि उसके पास 56000 सक्सेस स्टोरी हैं जिसने छात्रों की जिंदगी बदल दी है और उपलब्धियों से देश का विकास हुआ है।
उन्होंने बताया कि कभी इस संस्थान में 400 अंडर ग्रेजुएट छात्र हुआ करते थे लेकिन अब 25 सौ से अधिक छात्र अंडर ग्रेजुएट की डिग्री हासिल कर रहे हैं और लड़कियों की संख्या भी काफी बढ़ी है ।
उन्होंने बताया कि इस समय इस संस्थान में 29% छात्राएं हैं और इन छात्राओं ने भी कई उपलब्धियां हासिल की है। इस संदर्भ में उन्होंने राजस्थान के छोटे से मानोली गांव की एक लड़की अनु मीणा की सफलता की कहानी का जिक्र किया जिसने स्टार्ट अप के जरिएफोर्ब्स द्वारा जारी एशिया के 30 सफल लोगों की सूची में स्थान हासिल किया है ।अनु मीणा ने आठवीं तक हिंदी शिक्षा माध्यम से पढ़ाई की और उसके बाद आईआईटी में दाखिले कर स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ द ईयर तथा अपने स्टार्ट अप के जरिये कृषि के क्षेत्र में अनोखी सफलता हासिल की ।
श्री बनर्जी ने बताया कि आई आई टी सोनीपत अपना झझर में भी अपने केंद्र विकसित कर रहा है । झज्जर में एम्स के साथ मिलकर कैंसर के इलाज में काम कर रह। इसके साथ ही हौज खास में पड़ी जमीन को भीविकसित कर रहा है ।
उन्होंने बताया कि आईटीदिल्ली ने देश के तीन हज़ार तकनीकी विश्विद्यालयों के साथ मिलकर उन्नत भारत अभियान के तहत 16 हज़ार गाँव को विकसित किया है। इसके अलावा यूजी और पीजी में कई नए विषयों में पढ़ाई शुरू की है ड्रोन बुलेट प्रूफ़ जैकेट सेंसर से लेकर इलेक्ट्रिकल वाहन भी बनाये हैं।
— इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम