बिहार: बिहार की राजनीति दिन – प्रतिदिन गर्म होती जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल (यूनाइटेड), (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी) सिंह के बीच तलखी किसी से छिपी हुई नहीं है। अब आरसीपी सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रडार पर आ गए हैं। आरसीपी सिंह पर 9 साल में 58 प्लॉट खरीदने का गंभीर आरोप लगा है। ये आरोप खुद जदयू नेताओं ने लगाया है और प्रदेश अध्यक्ष ने नोटिस जारी कर आरसीपी सिंह से इस अनियमितता पर जवाब मांगा है। जेडीयू का कहना है कि आरसीपी सिंह ने पार्टी में रहते हुए करोड़ों रुपये की बेहिसाब संपत्ति अपने और अपने परिवार नाम कर दी। आरसीपी सिंह को इसका जवाब देना होगा।
इस खुलासे के बाद अब पार्टी उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने का मन बना रही है। पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इस बात के कुछ संकेत भी दिए है कि पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ कोई भी जांच एजेंसी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। हो सकता है कि आरसीपी के खिलाफ जल्द ही आईटी और ईडी की कार्रवाई हो सकती है।
पटना जदयू कार्यालय में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी जीरी टॉलरेंस की नीति पर चलती है। ऐसी स्थिति में पार्टी या सरकार से जुड़े किसी व्यक्ति को लेकर कोई जानकारी मिलती है, तो उन पर उस व्यक्ति का क्या कहने है, यह बताने का मौका दिया जाता है।
जेडीयू नेताओं की रिपोर्ट के अनुसार आरसीपी सिंह और उनके घर वालों ने 2013 से अब तक नालंदा जिले के अस्थावां और इस्लामपुर ब्लॉक में करीब 40 बीघा जमीन खरीदी है। इस रिपोर्ट में कई जिलों में भी संपत्ति होने का आरोप लगाया गया है। जेडीयू की तरफ से इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम नीतीश कुमार के जीरो टॉलरेंस की नीति माना जा रहा है। अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके किसी नेता के खिलाफ जांच करने और उनसे सवाल-जवाब करने वाली जेडीयू देश की पहली पार्टी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि उनकी दो बेटियों के नाम पर जमीन की खरीद में कोई गड़बड़ी नहीं है। उनकी दोनों बेटियां क्रमश: आइपीएस और वकील हैं। दोनों 2010 से आयकर रिटर्न दाखिल कर रही हैं। मेरे पिताजी सरकारी सेवा में थे। उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति हमारी दोनों बेटियों के नाम कर दी थी। उन्होंने कहा कि जमीन की खरीद कई टुकड़े में हुई है। कुछ जमीन बदलेन (जमीन के बदले जमीन) की भी है। शहर की तुलना में गांव की जमीन सस्ती होती है। सिंह ने कहा कि जमीन की खरीद में उनके बैंक खाता से एक रुपये का भी लेन देन नहीं हुआ है।
———— इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम