नई दिल्ली: सरकार देश में अनुसंधान परितंत्र को सु²ढ़ बनाने के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) का गठन करने का प्रस्ताव किया है। एनआरएफ की परिकल्पना एक व्यापक संरचना के रूप में की जा रही है। यह अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा क्षेत्र तथा उद्योग के बीच संपर्कों में सुधार लाएगी। यह जानकारी सोमवार को लोकसभा में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने गई। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का प्रस्तावित कुल परिव्यय पांच वर्ष के अवधि के दौरान 50,000 करोड़ है। एनआरएफ के मुख्य उद्देश्यों में से एक शैक्षणिक संस्थानों, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों, जहां अनुसंधान क्षमता वर्तमान में आरंभिक चरण में है, में अनुसंधान को बढ़ावा देना, विकसित करना तथा सुविधा प्रदान करना है। यह उच्च-प्रभाव, व्यापक स्तर, बहु-अन्वेषक, बहु-संस्थान और कुछ मामलों में संबंधित मंत्रालयों, विभागों एवं अन्य सरकारी तथा गैर-सरकारी निकायों, विशेष रूप से उद्योग के सहयोग से अंत विषयी या बहु-राष्ट्रीय परियोजनाओं का वित्त पोषण एवं सहायता करेगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के मुताबिक सरकार ने 34 वर्षों के अंतराल के बाद 29.07.2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) की घोषणा की। इस नीति में शिक्षा क्षेत्र में रूपांतरकारी परिवर्तन की परिकल्पना की गई है। इस संबंध में एक प्रमुख अनुशंसाओं में शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना तथा उनका अधिक से अधिक उपयोग करना है। इस संबंध में सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसके अंतर्गत मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए एनईईटी परीक्षा, जिसका संचालन 11 भाषाओं में किया जा रहा था, अब 13 भाषाओं में किया जाएगा।
वहीं जेईई (मेन) जिसका संचालन तीन भाषाओं में किया जा रहा था, अब 13 भाषाओं में किया जा रहा है। पायलट आधार पर 2021-22 के शैक्षणिक सत्र से कुछ विशेष एआईसीटीई अनुमोदित संस्थानों में 8 क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा दी जाएगी।