नई दिल्ली । भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आजकल ‘परम मित्र’ शब्द बड़ा प्रचलित हो रहा है। सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा रही है। पेरिस पैरालंपिक के सिल्वर मेडलिस्ट एथलीट योगेश कथुनिया ने पीएम मोदी के लिए यह शब्द बोला था। यह खेलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान के प्रति खिलाड़ियों की सराहना का एक उदाहरण है। रियो ओलंपिक से पीएम मोदी ने खिलाड़ियों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर बातचीत का जो सिलसिला चलाया है, उसने खिलाड़ियों के मनोबल को बहुत बढ़ाया है। इसका भारतीय खेलों को उल्लेखनीय फायदा हुआ है।
जब पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारतीय दल इतिहास रचकर वापस लौटा तो पीएम मोदी ने खिलाड़ियों से मुलाकात की थी। सिर्फ मेडलिस्ट ही नहीं, वह सभी खिलाड़ियों से एक जैसी गर्मजोशी से मिलते हैं। योगेश का एक शब्द खिलाड़ियों की पीएम मोदी के प्रति सराहना की चरम अभिव्यक्ति है, जिसके बाद खुद पीएम मोदी के मुंह से निकल गया था, ‘वाह!’
योगेश ने कहा था, “बाकि सभी लोगों के लिए आप एक पीएम हो सकते हैं लेकिन हम सब खिलाड़ियों के लिए ‘पीएम’ का मतलब है ‘परम मित्र’, जो हर परिस्थिति में खिलाड़ियों के साथ खड़ा है।”
चाहे जीत हो या हार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साया खिलाड़ियों के ऊपर एक अभिभावक की भांति बना रहा, जो लगातार देश के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रहे थे। टोक्यो ओलंपिक का वह पल कोई नहीं भूल सकता जब भारतीय महिला हॉकी टीम शानदार खेल दिखाकर भी कांस्य पदक से चूक गई थी। टीम की खिलाड़ियों की भावनाएं तब और उमड़ गई जब पीएम मोदी ने उन्हें फोन किया। खिलाड़ी बात नहीं कर पा रही थीं। आंखों में आंसू और जुबान में लड़खड़ाहट थी।
तब पीएम मोदी ने कहा था, “सबसे पहले तो आप रोना बंद करें। आपकी आवाज मुझ तक पहुंच रही हैं। आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। इतने दशकों बाद भारतीय हॉकी पुनर्जीवित हो उठी है तो उसके पीछे आप जैसे खिलाड़ियों की कई सालों की मेहनत है।”
“सबसे पहले आप रोना बंद करें”…..यह वाक्य इतना प्रचलित हुआ था कि सोशल मीडिया पर आने वाले सालों में इसकी खूब मीम्स भी वायरल हुई। इन शब्दों के प्रभाव बड़े गहरे होते हैं। वह न केवल खिलाड़ियों के मन-मस्तिष्क पर छप जाते हैं बल्कि भारतीय खेल प्राधिकरण, या अन्य संबंधित फेडरेशन के आला पदाधिकारियों के कानों में भी गूंजते हैं।
इसलिए चाहे ओलंपिक पोडियम स्कीम हो या खेलो इंडिया, पीएम मोदी के दर्शन की अभिव्यक्ति इन योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन में दिखाई पड़ती है। टोक्यो पैरालंपिक में 19 मेडल जीतकर एक नया इतिहास रचने वाला भारत पेरिस पैरालंपिक में नई उड़ान भर चुका है। अब उड़ने के लिए पूरा आसमान है और जीतने के लिए पूरी दुनिया। यह खेल राष्ट्र बनने के प्रति भारत की प्रभावी शुरुआत है।
हाल ही में हुए पेरिस ओलंपिक का एक महत्वपूर्ण अध्याय निशानेबाज मनु भाकर से जुड़ा है। वह मनु भाकर जो टोक्यो ओलंपिक में अपनी परफॉरमेंस से इतना तंग आ चुकी थीं कि शूटिंग छोड़कर यूपीएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी के बारे में सोचने लगी थीं। किसी ने पेरिस में मनु पर दांव नहीं लगाया था। लेकिन उन्होंने शूटिंग में दो मेडल जीतकर कामयाबी की नई गाथा लिखी। वह एक ही ओलंपिक में दो मेडल लेकर आने वाली भारत की पहली एथलीट बन गई थीं। मनु ने ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद पीएम मोदी के प्रति अपना विशेष आभार प्रकट किया था, जिन्होंने मनु को जीत-हार से परे सिर्फ अपने खेल पर फोकस करने और खुद का बेस्ट वर्जन सामने लाने की प्रेरणा दी थी।
ओलंपिक मेडल जीतना हर खिलाड़ी के लिए संभव नहीं। जो नहीं जीत पाते, उनके लिए पीएम मोदी के ये शब्द ‘ओलंपिक में भाग लेना भी अपने आप में बड़ी उपलब्धि होती है’…..बड़ी प्रेरणा और तसल्ली बन जाते हैं। वह खिलाड़ी अगले इवेंट के लिए पूरे ध्येय से जुड़ जाता है।
पीएम मोदी का बात करने का अंदाज और उनकी खेल के साथ खिलाड़ियों में दिलचस्पी एथलीटों को मोहित करती रही है। पीएम मोदी को न कभी खानापूर्ति करते नहीं देखा और न सुना गया। उन्होंने अनेकों अवसरों पर खिलाड़ियों से फोन पर बात की। बातचीत का अंदाज हमेशा अनौपचारिक रहा। कई बार खिलाड़ी हैरान हो जाते थे कि उनके पीएम कैसे हर एक खिलाड़ी के बारे में इतनी जानकारी रखते हैं। कुछ इस तरह के पर्सनल टच पीएम नरेंद्र मोदी ने खिलाड़ियों के साथ बनाए हैं, जिनका सीधा असर खेल में भारत की तरक्की पर देखने के लिए मिल रहा है।
खासकर पैरालंपिक खिलाड़ियों के साथ पीएम मोदी का संवाद व्यापक प्रभाव छोड़ रहा है। यह सिर्फ खेल नहीं बल्कि समाज में दिव्यांग लोगों के प्रति नई चेतना का प्रसार भी कर रहा है। 17 सितंबर को अपना 74वां जन्मदिन मना रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खेल और खिलाड़ियों में व्यक्तिगत दिलचस्पी ने उन्हें भारतीय खिलाड़ियों का ‘परम मित्र’ बना दिया है।
–आईएएनएस