नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने रविवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बयान, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, उद्धव ठाकरे, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, नेता विपक्ष राहुल गांधी के बयानों सहित अन्य मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर कांग्रेस नेता ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस हारी नहीं है, कांग्रेस को हराया गया है। मैं बार-बार कहता हूं की जब तक ईवीएम से चुनाव होगा, तब तक हम लोगों को इसका बहिष्कार करना चाहिए। फ्री एंड फेयर चुनाव के लिए बैलेट पेपर से चुनाव कराना चाहिए। चुनाव आयोग पर देश की जनता भरोसा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से चुनाव होने पर महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसकी एलायंस की सरकार बनेगी। महाराष्ट्र की जनता ने इस बार तय कर लिया है कि ऐसे लोगों को बाहर करना है, जो कानून के दबाव व ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर सरकार में आए थे।
राज ठाकरे द्वारा मस्जिदों से सभी लाउडस्पीकर हटाने की बात कहने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी की कोई अहमियत नहीं है, इसलिए उनके बयान का कोई मतलब नहीं है। मीडिया में बने रहने के लिए वह इस तरह के बयान देते हैं। उनके बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
नेता विपक्ष राहुल गांधी पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राशिद अल्वी ने कहा है कि इस देश के अंदर संविधान के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ भारतीय जनता पार्टी ने किया है। उनके मंत्री, नेता लगातार बयान देते हैं कि मुसलमानों की दुकानों से कुछ भी नहीं खरीदा जाए, क्या यह सब संविधान के मुताबिक है। ‘बंटेगे तो कटेंगे’ जैसे नारे लगाए जा रहे हैं, क्या यह संविधान के मुताबिक ठीक है। एक मुख्यमंत्री कहता है कि सब्जी के दामों को मुसलमानों ने बढ़ा दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप पर मणि शंकर अय्यर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राशिद अल्वी ने कहा है कि उनके खिलाफ 34 मुकदमे पेंडिंग में है। कहा जाता है कि वह इनकम टैक्स भी नहीं भरते थे। उनके खिलाफ तो बहुत सारे मुद्दे हैं। इसके बावजूद भी वहां की जनता ने उन्हें चुना है और भारत के अंदर भाजपा खुशियां मना रही है। यह बातें तो मेरी समझ से बाहर हैं।
सेवानिवृत्त हो रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल पर कांग्रेस नेता ने कहा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ अच्छे फैसले भी दिए। कुछ ऐसे भी बयान दिए, जिन पर लोग उंगली उठा रहे हैं।
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद पर फैसला देते हुए उन्होंने कहा था कि मैंने भगवान श्री राम की शरण में जाकर यह फैसला दिया। अगर सारे फैसले भगवान की शरण में जाकर होने लगेंगे, तो फिर संविधान का क्या होगा। जज तो संविधान के अनुसार फैसला करते हैं। आप बात इंसाफ की करते हैं और पूजा पर अपने घर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाते हैं।
बाला साहब ठाकरे पर पूछे गए एक सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि मेरा मानना है विचार अलग-अलग हो सकते हैं, एक दूसरे के खिलाफ हो सकते हैं। लेकिन जब कोई नेता इस दुनिया से चला गया हो, तो उसके खिलाफ बयान देना मर्यादा के खिलाफ है। यह काम सिर्फ भारतीय जनता पार्टी कर सकती है। जो इस दुनिया में नहीं हैं, उनकी इज्जत करनी चाहिए न कि मतभेद के कारण बयानबाजी करनी चाहिए।
उद्धव ठाकरे(शिवसेना) के साथ कांग्रेस का गठबंधन होने पर भी राहुल गांधी द्वारा मंच से बाला साहेब ठाकरे का नाम नहीं लेने पर उन्होंने कहा कि शिवसेना और कांग्रेस पार्टी दो अलग-अलग पार्टियां हैं, दोनों के विचारों में बहुत सारी बातें ऐसी हो सकती हैंं, जो एक-दूसरे से इत्तेफाक न रखती हों। यह जरूरी नहीं है कि हर चीज की तारीफ की जाए, हर चीज की हिमायत की जाए, बहुत सारी बातें कांग्रेस की हैं, जो सहायक शिवसेना को पसंद न हो। इसलिए राहुल गांधी पर इस तरह का इल्जाम लगाना गलत है।
बाला साहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे में क्या अंतर है, क्या कांग्रेस को उद्धव ठाकरे को साथ लेना चाहिए था। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं यह जानने की कोशिश नहीं करता हूं कि दोनों में क्या अंतर है। उद्धव ठाकरे आज शिवसेना के लीडर हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में विकास करने की कोशिश की है। यहां पर कांग्रेस और उनकी पार्टी का एलायंस है। मुझे लगता है उनमें कई ऐसी बातें हैं, जो महाराष्ट्र के लिए फायदेमंद हैं।
–आईएएनएस