कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय ने एक बड़े घटनाक्रम के तहत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे व तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी को कोयला तस्करी से जुड़े कथित धन शोधन मामले में तलब किया है। डायमंड हार्बर से सांसद बनर्जी को 6 सितंबर को नई दिल्ली में वित्तीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है, जबकि उनकी पत्नी को 1 सितंबर को तलब किया गया है।
बनर्जी परिवार के वकील संजय बसु को 3 सितंबर को एजेंसी के सामने पेश होने को कहा गया है।
ईडी ने पश्चिम बंगाल पुलिस के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों श्याम सिंह और ज्ञानवंत सिंह को भी इसी मामले में क्रमश: 8 और 9 सितंबर को तलब किया है।
सीबीआई ने इस मामले में बंगाल में विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले 23 फरवरी को रुजिरा बनर्जी से पूछताछ की थी। मामले में उसकी बहन और परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की गई है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज 1 नवंबर, 2020 की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद ईडी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह मामला ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, कुनुस्तोरिया, कजोरा और आसनसोल क्षेत्र की खदानों से करोड़ों रुपये की कोयला चोरी से संबंधित है।
स्थानीय स्टेट ऑपरेटिव अनूप मांझी उर्फ लाला इस मामले में मुख्य संदिग्ध है।
ईडी ने पहले दावा किया था कि अभिषेक बनर्जी इस अवैध व्यापार से प्राप्त धन के लाभार्थी थे। तृणमूल नेता ने सभी आरोपों से इनकार किया था।
ईडी के समन के कुछ घंटे बाद अभिषेक बनर्जी ने शनिवार को तृणमूल छात्रसंघ के स्थापना दिवस कार्यक्रम में कहा, “भाजपा को लगता है कि वह हमारे खिलाफ ईडी का इस्तेमाल कर हम पर दबाव बना सकती है, लेकिन हम और मजबूत होकर उभरेंगे।”
ईडी के समन को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार देते हुए बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां उनके संकल्प को नहीं रोक सकतीं।
उन्होंने कहा, “जब हम लड़ते हैं, तो हमारे दिमाग में बस दो चीजें होती हैं – या तो वह झंडा फहराएं, जिसके लिए हम लड़ रहे हैं या उसी में लिपटे हुए वापस आएं। मैं (गृहमंत्री) अमित शाह को चुनौती देता हूं कि अगर उनमें हिम्मत है तो तृणमूल को रोककर दिखाएं, हम तो जिन राज्यों में प्रवेश करेंगे, आपसे सत्ता छीन लेंगे।”
उन्होंने कहा, “तृणमूल उन सभी राज्यों में जाएगी, जहां भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है और लोगों के अधिकार छीन लिए हैं। हम अपने खून की आखिरी बूंद तक उनसे लड़ेंगे। उन्हें लगता है कि अगर वे हमें डराते हैं तो हम बैठ जाएंगे। लेकिन यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस की भूमि है।”
–आईएएनएस