लखनऊ: अब तक यौन शोषण से जुड़े मामलों में अपराधी पकड़े जाने से पहले ही जमानत अर्जी डालकर बच निकलने की कोशिश करते थे, या बच भी जाते थे। इसके साथ ही साथ बाहर रहते हुए वे पीड़ित को धमकाने का भी काम करते थे। मगर अब यूपी में दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन ) विधेयक 2022 पारित हो गया है। शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में इसे मंजूरी दी गई है। इसके पारित होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में बालकों से कुकर्म, बच्चियों और महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। इस विधेयक को मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रस्तुत किया।
संसदीय कार्य मंत्री ने विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 की उपराधा 6 में अग्रिम जमानत का प्रावधान है। संशोधित विधेयक में यह प्रावधान खत्म किया गया है। बच्चियों और महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376क, 376कख, 376 ख, 376 ग, 376 घ, 376 घक, 376 घख, और 376ड में बलात्कार और अवैध मैथुन के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।
कांग्रेस नेता ने रखा था प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव, किया गया खारिज
कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा मोना और बसपा विधायक दल के नेता उमाशंकर सिंह ने दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन ) विधेयक 2022 प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा। आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि विधेयक में यह भी शामिल हो कि पुलिस को यौन अपराध के मामलों में 24 से 48 घंटे में आरोपी को गिरफ्तार करना हो। आरोपी पकड़ा नहीं जाने पर ही अग्रिम जमानत का प्रयास करता है या पीड़ित को डराने की कोशिश करता है। इसी वजह से यूपी महिला अपराध के मामले में पहले पायदान पर है।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने इस मामले में एनसीआरबी के रिकार्ड का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के हिसाब से महिलाओं से सम्बंधित अपराध में अपराधियों को सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। इसमें 7713 मामलों में सजा दिलाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि विधेयक प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव निरस्त किया गया।