पटना: बिहार की सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने गुरुवार को अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी। उन्होंने कहा कि अफसरों की तानाशाही के कारण कोई काम नहीं हो रहा है। केवल सुविधा भोगने के लिए मंत्री नहीं रह सकते। इस बीच, सहनी को सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी का भी साथ मिल गया है। मंत्री सहनी ने गुरुवार को अफसरशाही के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए यहां तक कह दिया कि अधिकारियों की कौन कहे, चपरासी तक मंत्री की बात नहीं सुनते।
उन्होंने कहा, “अफसरों की तानाशाही से हम परेशान हो गए हैं। कोई काम नहीं हो रहा है। जब हम गराीबों का भला ही नहीं कर पा रहे हैं, तो केवल सुविधा भोगने के लिए मंत्री नहीं रह सकते। मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप देंगे।”
सहनी ने कहा कि अगर मंत्री की भी बात सरकार में नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसी हालत में मंत्री पद पर रहकर क्या फायदा?
जब उनसे पार्टी छोड़ने के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने इसे नकारते हुए कहा, “पार्टी में रहेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करेंगे।”
इस बीच, मदन सहनी को पूर्व मुख्यमंत्री और हम के प्रमुख जीतन राम मांझी का साथ मिला है। मांझी ने भी कहा कि यह सही है कि राज्य में 20 से 30 प्रतिशत अधिकारी मंत्रियों और विधायकों की बात एकदम नहीं सुनते।
सहनी के इस्तीफे की पेशकश के संबंध में पूछे जाने पर मांझी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि उन्होंने इस्तीफा दिया है या नहीं। लेकिन, यह सच है कि विधायक और मंत्रियों की बात अधिकारी नहीं सुनते। 20 से 30 प्रतिशत अधिकारी तो एकदम नहीं सुनते।”
उन्होंने कहा, “यह मुद्दा पहले भी मैं भाजपा और जदयू के नेताओं के सामने उठा चुका हूं।”