नई दिल्ली,, 16 जुलाई (आईएएनएस)| फिल्म ‘तूफान’ के लिए अभिनेता फरहान अख्तर के शरीर को फीट करने और ट्रांसफॉर्म करते समय हमेशा एक चुनौती यह थी कि हर समय एक विशिष्ट खेल (मुक्केबाजी) को ध्यान में रखा जाए।
अभिनेता को प्रशिक्षित करने वाले सेलिब्रिटी फिटनेस ट्रेनर समीर जौरा कहते हैं, “मुक्केबाजी कठिन है और इसकी पेचीदगियों को समझने के लिए बहुत धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है। लेकिन मैंने सभी परिवर्तन प्रक्रिया का आनंद लिया क्योंकि यह बेहद चुनौतीपूर्ण था।”
फिल्म की स्ट्रीमिंग अमेजन प्राइम पर होगी।
पिछले 17 सालों से अख्तर को अपनी सभी फिल्मों के लिए ट्रेनिंग दे रहे जौरा का कहना है कि जब भी अख्तर अपने कार्यक्षेत्र में आते हैं तो अपना सब कुछ दे देते हैं। “मैं उन्हें लगभग दो दशक से जानता हूं, लेकिन अपने प्रशिक्षण और काम के प्रति उन्होंने जो आग और जुनून दिखाया है वह उनमें अभी भी बरकरार है।”
जौरा का कहना है ,”उन्होंने प्रियंका चोपड़ा, शाहिद कपूर और दक्षिणी स्टार महेश बाबू सहित अन्य प्रमुख हस्तियों को ट्रेन किया है। हर अभिनेता अलग होता है और उनके शरीर के प्रकार और आवश्यकताएं अलग होती हैं। खैर, मैंने फरहान के साथ बहुत समय बिताया है, इसलिए मेरे दिल में उनके लिए एक विशेष स्थान रहता है।”
उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि, पिछले दो दशकों में फिटनेस के प्रति भारतीयों के रवैये में एक बड़ा बदलाव आया है, उनका मानना है कि अधिक से अधिक लोग अब अपने दैनिक जीवन में फिटनेस के महत्व को समझते हैं।
उन्होंने कहा, “लोग जिम जा रहे हैं, या घर पर किसी प्रकार का व्यायाम कर रहे हैं। भारतीय आहार में बहुत सारे काबोर्हाइड्रेट होते हैं, कई स्वस्थ विकल्पों पर स्विच कर रहे हैं। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए – कुछ वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है, अभी भी बहुत वार्कआउट की जरूरत है। मैं वास्तव में आशा करता हूं कि आने वाले समय में, भारतीय अधिक फिट होंगे।”
महामारी के दौरान साइकिल खरीदने वाली आबादी में बढ़ोतरी और लॉकडाउन के बाद जिम में अधिक लोगों के आने पर उन्होंने कहा, “हार्डकोर फिटनेस का पालन ज्यादातर अभिनेताओं, मॉडलों और उत्साही लोगों द्वारा किया जाता था। हां, यह दुख की बात है कि हम फिटनेस को आपने जीवन में कोई महत्व नहीं देते थे। इसकी वास्तविकता को जगाने के लिए हमें एक महामारी की आवश्यकता थी। फिट रहना हमारे लिए जरुरी हो गया है।”
उन्होंने इस बात पर जोर देते भी कहा है कि, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी शारीरिक गतिविधि महत्वपूर्ण है, जौरा का कहना है कि जिन्हें जिम जाना पसंद नहीं है, उन्हें योग, बुनियादी घरेलू व्यायाम, साइकिल चलाना, पैदल चलना या कोई खेल खेलना चाहिए।
सप्लीमेंट के मामले पर उन्होंने कहा, “सप्लीमेंट लेने के बाद एक मस्कुलर बॉडी मिल सकती है, लेकिन जब ताकत की बात आती है, तो वे काम नहीं करते हैं। केवल सप्लीमेंट लेना और शरीर पर कड़ी मेहनत करने से बचना एक बहुत ही गलत तरीका है। यदि आपका वर्कआउट तेज है, तो प्रोटीन ले सकते है, लेकिन ट्रेनर से पुछने के बाद ही।”
भारतीयों में बढ़ता मोटापा एक वास्तविक चिंता है। जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, प्रशिक्षक को लगता है यदि आप व्यायाम नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम टहलें।”